मानसून समय पर है और सामान्य है। सोने पे सुहागा वाली मानसून की इस तस्वीर का देश और देश के लोगों के लिए खास महत्व है। कोविड-19 महामारी से जहां देश के तमाम क्षेत्रों की नकारात्मक या न्यूनतम वृद्धि दर रही है, वहीं कृषि और उससे जुड़े अन्य क्षेत्र इससे अछूते रहे हैं। जब देश की अर्थव्यवस्था के बढ़ने की दर 3.1 फीसद के न्यूनतम स्तर पर रही हो और कृषि क्षेत्र ने 5.9 फीसद की ऐतिहासिक वृद्धि दर हासिल की हो, तो सबकी उम्मीदें इसी पर टिक जाती हैं। जब दिग्गज कार निर्माता कंपनियां तमाम प्रयासों के बावजूद एक भी कार न बेच पाई हों और महिंद्रा एंड महिंद्रा व सोनालिका के ट्रैक्टरों की बिक्री क्रमश: दो और 19 फीसद बढ़ गई हो तो प्रतिकूल आर्थिक हालात में कृषि क्षेत्र पर भरोसा दोगुना बढ़ जाता है।
अब चूंकि मानसूनी बारिश भी अच्छी होने का अनुमान है। लिहाजा खेती-किसानी देश की अर्थव्यवस्था का आधार बनती दिख रही है। तमाम अध्ययन में ये बात सामने आ चुकी है कि अच्छे मानसून के चलते ग्रामीण क्षेत्र की आय में इजाफा होता है। चूंकि देश की कुल मांग में 45 फीसद हिस्सेदारी ग्रामीण क्षेत्र से होती है, लिहाजा यह सामान्य मानसून देश की अर्थव्यवस्था के लिए असामान्य रहने वाला साबित हो सकता है। मांग ढ़ेगी तो आपूर्ति के लिए उद्योगों का पहिया घूमने लगेगा।