वक़्फ़ कर्बला अब्बास बाग़ का संक्षिप्त परिचय, कर्बला की ज़मीन को ख़ुर्द-बुरद होने से रोकने में शिया वक़्फ बोर्ड असमर्थ

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    रिपोर्ट अजय अवस्ती यह कर्बला जो कि हरदोई रोड पर स्थित है।बादशाह मोहम्मद अली शाह व सईद इमाम अली खां राफीकुद्दोला अमीनुल मुल्क फतेह जंग मुस्तफा अली खान साबिक वज़ीर ए आज़म मोहम्मद अली शाह बादशाह अवध स्टेट ने बादशाह की इजाज़त से एक वक़्फ़नामा वक़्फ़ अल्ल ओलाद संन 1845 में तहरीर किया था।यह संपत्ति सरकारी अभिलेखों में राफीकुद्दोला के नाम से दर्ज है और उनके वारिसान इसका इंतेज़ाम देखते चले आ रहे है।यह वक़्फ़ शिया सेंट्रल वक़्फ़ बोर्ड में सन् 1944 में दर्ज हुआ ।वक़्फ़ नाम और वक़्फ़ बोर्ड के दफा 37 रजिस्टर में इसकी चौहद्दी निम्न तौर पर दर्ज है।
    (1) पूरब-बाग़ ताराचंद,बाग़ जोहरयांन
    पश्चिम -रास्ता
    उत्तर- रास्ता जरनैल गंज
    द0- तकिया हींगा शाह
    कुल रकबा दो लाख सात हजार एक सौ अड़तालीस

    (2) पु0-सरहद बर्फखाना
    प0-रास्ता
    उ0-तकिया रास्ता व आबादी कर्बला अब्बास बाग़
    द0-ख़बरिस्तान मिश्री की बगिया।
    जानकरी में आया है कि शिया वक़्फ़ बोर्ड काफी लंबे अरसे से इस वक़्फ़ की जायदाद को खुर्द बुरद होने से रोकने में असमर्थ वह शिया वक्फ बोर्ड के कुछ कर्मचारी खुर्द बुरद होने में लिप्त है ।सूत्रों के हवाले से सन 1990 में इस वक़्फ़ के काग़ज़ात वक़्फ़ बोर्ड से गायब कर दिए गए थे।और दूसरे पते से नए वक़्फ़ का रजिस्ट्रेशन कर दिया था।तब राफीकुद्दोला की वारिसान और मुतवल्ली मरहूम मलका ज़मानी बेगम ने शिया वक़्फ़ बोर्ड के विरुद्ध माननीय उच्च न्यायालय में रिट याचिका दाखिल की, जिसमे न्यायालय द्वारा वक़्फ़ बोर्ड को रोक दिया गया था कि वो किसी प्रकार का हस्तक्षेप न करे।इस संबंध में उस वक़्त के चेयरमैन द्वारा दिनाँक 29-12-2001 को आदेश भी पारित किया गया।न्यायालय के आदेश के बाद भी शिया सेंट्रल वक्फ बोर्ड इस संपत्ति में अपनी दखलअंदाज़ी करता रहा जिसकी वजह से कर्बला की जमीन पर अवैध कब्जे, ख़रीद फरोख़ होते रहे है ।
    मलका ज़मानी बेगम के इंतेक़ाल के बाद से इस वक़्फ़ का सारा इंतेज़ाम उनके बड़े लड़के गुड्डू देखने लगे और वक़्फ़ बोर्ड से आज तक लड़ते चले आ रहे है।इसी वक़्फ़ की संपत्ति पर एक मैरिज लॉन भी बना है जिससे लाखो रुपये की आमदनी अवैध रूप से काबिज़ लोग कमा रहे है।इधर एक बड़ी साज़िश के तहत बोर्ड ने सय्यद हुसैन अब्बास गुड्डू के छोटे भाई सिराज को मुतवल्ली बना दिया। जबकि वक़्फ़ बोर्ड के खिलाफ तमाम मुक़दमे पहले से विचाराधीन थे । सिराज द्वारा प्रॉपर्टी डीलरों व बोर्ड से सांठ गांठ कर ली गयी।और नतीजा आपके सामने है।

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