अभी एक साहब आये अमा दिमाग चाट गये। हां हां इफ्तार के बाद 8:45 से मुसलसल बातें सुन सुन कर के लगा कि क्या बकवास बातें हो रही हैं।
जब सुन सुन कर के थक गया फिर मैंने कहा भैया मैं भी कुछ पूछूं आपसे? बोले हां।
मैंने कहा कि दिमाग चाटने का शौक है इसलिए आप आ गए और जब हालात की चर्चा शुरू हुई तो बस बताने लगे कि हमारे पास पिछले साल के मुकाबले में इस साल ज्यादा सुविधाएं मौजूद हैं पिछले साल हमारे पास दवाई नहीं थी अबकी दवाएं मौजूद है सिलेंडर्स मौजूद है ऑक्सीजन मौजूद है बेड मौजूद हैं। मतलब सिर्फ़ तारीफ़।
मुझे कहना पड़ा अरे भैया कहां मौजूद हैं लोग सड़कों पर मर रहे हैं इंफ्रास्ट्रक्चर पूरी तरह ध्वस्त हो चुका है आप हर जगह फेल हो चुके हैं भाई साहब मान लीजिए खाली बार बार दिमाग चाटने से या पक्ष रख देने से कुछ नहीं होगा।
मैंने कहा कि बस खाली कुछ चुनिंदा वर्ड याद कर लिया अगर उसको बोलना शुरू कर दिया करोना वॉरियर्स, इंफ्रास्ट्रक्चर इत्यादि। मैंने कहा कि अफसोस होता है आप पर क्या बोला जाए क्या कहा जाए। शब्दों से नहीं जीता जा सकता है ऊपर से तमाम चैनल बस आपकी बातों का गुणगान कर रहे हैं अमा क्या पहुंच है आपकी। खैर मैंने कहा कि अभी आप तारीफ़ कर रहे थे कि हिंदुस्तान में सबसे सस्ती वैक्सीन है भैय्या वैक्सीन का असर कहां हो रहा है जिसने जिसने 2- 2 डोज़ ली सब पॉजिटिव हो रहे हैं और यह पॉजिटिव नेगेटिव खेल बंद कर दो यार पूरा हिंदुस्तान पॉजिटिव सिर्फ सरकार नेगेटिव है।
मैंने कहा कि अभी कह रहे थे जो हिंदुस्तान में वैक्सीन बनेगी उसका आधा हिस्सा सीधा राज्य सरकारों को मिलेगा अस्पतालों को मिलेगा तो बाकी क्या अपना घर ले जाएंगे मतलब हद खत्म हो गई यार क्या बोला जाए या तो सरकार में सब ढक्कन है या हम सब पूरी जनता ढक्कन है। तपाक से बोले देशभक्ति की भाषा बोलिए। मैंने क्षमा मांगते हुए कहा कि आपका दावा है कि जान भी बचाएंगे और जीविका भी बचाएंगे। कहां से बचाएंगे। आप कह रहे घर से ना निकले घर से ना निकले तो खाएं क्या धतूरा! ये भी तो बताइए अरे जब मर्ज़ बता रहे थे तो इलाज भी बताइए घर से निकलेंगे नहीं तो खाएंगे क्या जो प्राइवेट वर्क करने वाले हैं। दुकानें बंद है जिनकी कोचिंग बंद है जिनके स्कूल बंद है वह घर में रहेंगे तो क्या खाएंगे कैसे जीविका चलाएंगे इसका कोई साधन निकाला।
स्कूल कह रहा है फीस लाइए। फीस जमा करिए वरना आपका नाम काट दिया जाएगा पिछले साल का रिजल्ट नहीं दिया जाएगा इस पर सरकार कुछ नहीं कर रही है जब सरकार ने ऐलान कर दिया है कि सारे स्कूल बंद किए जाएं तो स्कूल जब बंद हो गए तो सारी गतिविधियां सब बंद हो जानी चाहिए । मगर क्या स्कूल बंद हो गए लेकिन ऑनलाइन के नाम पर बेवकूफ बनाने का धंधा चल रहा है फीस लाइए। । अमां कहने लगे यह सब मुझसे न कहिए सरकार से कहिए। मैंने कहा कि अभी निवेदन करता हूं।
मेरा माननीय मुख्यमंत्री महोदय माननीय प्रधानमंत्री महोदय से निवेदन है कि या तो सब कुछ खोल दें या फिर सब कुछ बंद कर दें यह बीच में पेंडुलम की तरह लटक करके इंसान जी नहीं सकता। चिकित्सा व्यवस्था और जीविका पर ध्यान दें।
जयहिंद
सैय्यद एम अली तक़वी
ब्यूरो चीफ दि रिवोल्यूशन न्यूज़