राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत से कुछ सवाल-जवाब

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    राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत का एक न्यूज़ चैनल पर दिए गए इंटरव्यू व खुद मुख्यमंत्री द्वारा इस इंटरव्यू की वीडियो अपने टि्वटर हैंडल व फेसबुक पर अपलोड करि गई जिसके सवाल जवाब कुछ यूं है
    सवाल- पिछले कुछ दिनों से प्रदेश की सियासत में जो चल रहा है, अब कहां जा रहा है ये क्योंकि कोर्ट तक मामला चला गया है, घर का झगड़ा आपका कोर्ट तक चला गया है, कैसे निकलेगा हल इसका ?
    जवाब- वैरी अन्फॉर्च्युनेट, क्योंकि जिस प्रकार की स्थिति बनाई गई, घर के झगड़े घर में ही निपटते हैं, ये तो सदियों से चला आ रहा है। अगर घर के झगड़े आप दुश्मनों से लेकर, दुश्मनों का मतलब यहां विरोधी है, हमारे दुश्मन होते नहीं हैं, अगर उनके साथ मिलीभगत करके राजनीति करेंगे तो फिर डेमोक्रेसी में क्या बचेगा? ये सब खेल चल रहा है उस प्रकार का चल रहा है। महत्वाकांक्षी होना बुरा नहीं है, अतिमहत्वाकांक्षी इतना हो जाओ कि फाउल खेलने लग जाओ तो अच्छी बात नहीं है। तो मेरे हिसाब से जो राजनीति चली है कि हम लोग 20-15-12 जो भी हैं कम ज्यादा होते रहते हैं, इनके आधार पर ही जो है 100 का आंकड़ा पार किया हुआ है, सरकार बैठी हुई है यहां पर, उसको गिराकर के आप बीजेपी के सहयोग से सरकार गिराना चाहते हो, तो जनता कभी माफ नहीं करेगी ऐसे लोगों को, ये मेरा मानना है।

    सवाल- आप लोग इतने, एक साथ, वो डिप्टी चीफ मिनिस्टर आपके थे, प्रदेशाध्यक्ष थे। गड़बड़ कहां से हुई, क्या ऐसा हो गया आप दोनों के बीच में कि इतने आगे तक चले गए, जैसा आप कह रहे हैं कि बीजेपी के साथ मिलकर मेरी सरकार गिराने का षड्यंत्र रच रहे हैं?
    जवाब- नई बात नहीं है, जबसे सरकार बनी तबसे ही षड्यंत्र शुरु हो गए थे।

    सवाल- सचिन पायलट ने तब से ही षड्यंत्र करना शुरु कर दिया था, आपके पास इस तरह के सबूत हैं ?
    जवाब- जब डेढ़ साल में हम लोगों ने कभी बात ही नहीं की, टॉकिंग टर्म्स ही नहीं है, एक मंत्री मुख्यमंत्री से बात ही नहीं करे, सलाह नहीं ले, डायलॉग रहे ही नहीं, डेमोक्रेसी में कितना ही विरोधी भी होता है तो डेमोक्रेसी की सबसे खूबसूरती होती है डायलॉग रखना, डायलॉग तो आवश्यक होता है। डायलॉग ही नहीं है और जो खबरें आती गईं- आती गईं डेढ़ साल तक, उसके लिए तो भले ही एक पूरी किताब लिख दो आप। तो ये स्थिति थी। ये जो मीडिया जिस रूप में चला रहा है सच्चाई कुछ नहीं है उसके अंदर। भई मीडिया मीडिया है, चौथा स्तंभ है उसको चिंता होनी चाहिए डेमोक्रेसी से भविष्य की देश के अंदर।

    सवाल- सच्चाई क्या है लेकिन, आपने कहा कि आपके पास सबूत हैं कि सचिन पायलट पैसे रुपए की बात करके विधायक खरीदेने की बात कर रहे थे, इतने सबूत आपके पास हैं ?
    जवाब- जो भी मैंने कहा एक बार मैंने रिकॉर्ड पर कह दिया, ऑन रिकॉर्ड पर मैंने कहा है अब जो कुछ कहना है तफ्तीश जब होगी एसओजी की तो मुझे भी बुलाया गया है वहां पर और फिर भी ऐसा माहौल बनाया गया देश के अंदर है, बेचारा बना दिया है, बेचारे सचिन पायलट जी को नोटिस दे दिया एसओजी ने। अरे भई 10-12 नोटिस गए होंगे, हमारी पार्टी ने ही शिकायत की थी उनको कि हमारी सरकार गिराने के लिए बीजेपी षड्यंत्र कर रही है। हमने कभी इनका नाम नहीं लिया, सफाई ये दे रहे हैं कि नहीं ऐसी कोई बात ही नहीं थी, कोई षड्यंत्र था ही नहीं, कोई ऑफर हुआ ही नहीं, तो मैं क्वेश्चन कर रहा हूं बीजेपी नेताओं से, इनसे ज्यादा मेरी पार्टी के अध्यक्ष जी से ये ऐसा होता है क्या? अब जो कुछ हुआ है सामने, अब पूरी मेहमाननवाज़ी किसकी हो रही है, वकील लोग कल अपीयर हो रहे हैं वो कौन हो रहे हैं? किसके, बाड़ाबंदी की गई जो गुड़गांव में या मानेसर में, ये उस वक्त होने वाली थी जब राज्यसभा के चुनाव थे, उसके पहले मुझे 10 तारीख को 10 दिन के लिए विधायकों को इकट्ठा करना पड़ा, नौबत क्यों आई वो? तब भी कहा गया नहीं ये तो डिप्टी सीएम साहब को डाउन करने के लिए सीएम साहब ने चाल चली है। कोई मुख्यमंत्री 10 दिन तक विधायकों को इस प्रकार बैठा सकता है? अच्छी परंपरा है क्या? मै खुद बुरा मानता हूं। सरकार बचानी थी मुझे उस दिन, रात को 2 बजे जाने वाले थे ये लोग 2 बजे रात को। रात को मैंने 1 बजे कलक्टरों को उठाया, मेरे कांग्रेस नेताओं को इत्तला करी की भई कल शाम तक सब जयपुर पहुंचने चाहिए और मुझे खुशी इस बात की है कि करीब-करीब तमाम विधायकों ने शाम तक पहुंचने के लिए हां ही नहीं की बल्कि पहुंच गए करीब-करीब। जब पहुंच गए तब इनकी आंखें खुलीं ये क्या हो गया? तो फिर पूरा बयानबाज़ी होने लग गई कि कुछ नहीं था, क्यों बुलाया, कोई खरीद-फरोख्त हो ही नहीं रही थी, जबकि मेरे पास उस वक्त भी प्रूफ थे आज भी प्रूफ हैं।

    सवाल- सचिन पायलट खरीद-फरोख्त करवा रहे हैं ?
    जवाब- मैंने कल जो कहा है मीडिया को वो मेरा ऑफिशियली बयान है, ऑन रिकॉर्ड मैंने कहा है, आज जो खबर आ रही है सामने।
    सवाल- एक जो बात आ रही है सामने उन्होंने एक इंटरव्यू में कहा कि मध्यप्रदेश में प्रदेशाध्यक्ष थे कमलनाथ उनको मुख्यमंत्री बना दिया, अमरिंदर सिंह अध्यक्ष थे उनको चीफ मिनिस्टर बना दिया, भूपेश बघेल अध्यक्ष थे उनको चीफ मिनिस्टर बना दिया, मैं अध्यक्ष था मुझे चीफ मिनिस्टर नहीं बनाया राजस्थान का, सचिन पायलट का बयान है ?
    जवाब- देखिए, मुख्यमंत्री बनाया जाता है पब्लिक क्या सोचती है, पब्लिक का मेंडेट किसके पक्ष में है, पब्लिक का मैसेज क्या है। जब घर-घर में ये बात थी कि मुख्यमंत्री अशोक गहलोत बनना चाहिए, विधायक जीतकर आए, टिकट चाहे इन्होंने दिलाए, मैंने दिलाए, किसी ने दिलाए, अधिकांश विधायकों ने जो अपनी राय प्रकट कर दी, अधिकांश विधायकों ने कह दिया हाईकमान तय करेगा, हमने हाईकमान पर छोड़ दिया, तो सोच-समझकर फैसला हुआ। फैसला होने के बाद में मैंने आज तक कभी देखा नहीं कि कोई उसको चैलेंज करे और यहां स्थिति दूसरी बनी रही, तो ऐसे मुख्यमंत्री नहीं बनते हैं। वहां की स्थिति दूसरी थी राजनीतिक तौर से, यहां की स्थिति बिलकुल दूसरी थी, इसलिए मैं मुख्यमंत्री बना। मैं वो व्यक्ति हूं, अगर मुझे अंदाज़ा हो जाए कि पब्लिक मेरे पक्ष में नहीं है, पब्लिक मुझे चाहती नहीं है, विधायकगणों का मूड दूसरा है, वो मुझे इस काबिल नहीं समझते हैं, तो मैं उन लोगों के अंदर हूं, मैं खुद हाईकमान को जाकर अलग से ब्रीफ करूं कि पार्टी के इंटरेस्ट में हमें यह फैसला करना चाहिए, मेरे खून में वो बात है।

    सवाल- जल्दबाज़ी कर गए सचिन पायलट?
    जवाब- नहीं जल्दबाज़ी कहां की ? एकसाल लगाया, डेढ़ साल लगाया, जल्दबाज़ी नहीं की। पहले बीजेपी में जाएंगे फिर देखा बीजेपी में जाने को एमएलए कोई तैयार नहीं हो रहा है तो थर्ड फ्रंट बनाएंगे, नई पार्टी बनाएंगे और राजस्थान से कांग्रेस को समाप्त कर दूंगा मैं। अगर बिहार में हो सकता है, और राज्यों में हो सकता है, बीजेपी की मिलीभगत से सरकारें बनी भी हैं बिगड़ती भी हैं तो मैं क्यों नहीं बन सकता हूं?

    सवाल- बन पाएंगे, आपको लग रहा है ?
    जवाब- देखिए डेमोक्रेसी के अंदर मैं क्यों किसी को चैलेंज करूं? पर इतना मैं जरूर कह सकता हूं कि गद्दारी नहीं करनी चाहिए, जिस पार्टी ने आपको सबकुछ दिया हो, मैं 28 साल में एमपी बन गया, 29 साल में मैं केंद्रीय मंत्री बन गया, 34 साल में प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष बन गया, तीन बार मैं केंद्रीय मंत्री रहा, 3 बार मैं प्रदेश कांग्रेस का अध्यक्ष रहा, 3 बार मैं एआईसीसी का महामंत्री रहा और तीसरी बार मुख्यमंत्री हूं क्योंकि हमारी जो पीढ़ी थी उस वक्त की उसकी रगड़ाई खूब हुई थी यूथ कांग्रेस में, एनएसयूआई में तो उसी रूप में हम लोगों ने मेहनत की, संकट बहुत आए थे, इंदिरा गांधी जी की हत्या हो गई थी, राजीव गांधी हमारे नेता थे उनकी हत्या हो गई तब भी हमने पार्टी के प्रति अपनी वफादारी रखी, कमिटमेंट रखा, पार्टी की नीतियां, विचारधारा कार्यक्रम को जनता तक पहुंचाने में लगे रहे रात-दिन तक चाहे कोई पद पर रहे या नहीं रहे, तब जाकर आज 40 साल के बाद में भी जो जमात दिख रही है आपको, जिनको आप कह रहे हो सीनियर बन गए हैं घर बैठ जाना चाहिए। अरे भई पहले उम्र होती थी साठ साल की, अब साठ साल की उम्र नहीं होती है, अब उम्र बढ़ गई है। इसलिए बार-बार ये जूनियर और सीनियर की बात नहीं करनी चाहिए। जूनियर और नौजवान पीढ़ी आनी चाहिए जिस तरह से हम लोग आए थे। हम लोग सभी नौजवान थे उस वक्त में गुलाम नबी आजाद हों, आनंद शर्मा हों, अहमद पटेल हों, मुकुल वासनिक हों, कितनी लंबी लिस्ट है, तारिक अनवर हों, ये सब उस वक्त पहली बार आए थे वहां पर और पहली बार आकर आज तक जिंदा हैं राजनीति के अंदर। अगर हम राजनीति छोड़ दें तो क्या करें बताओ? ये नहीं देखना चाहिए, आप अपना काम करो, आज पार्टी के सामने संकट का समय है। इंदिरा गांधी चुनाव हार गईं तो चैलेंज था बड़ा, उस वक्त भी हम लोगों ने सड़कों पर उतरकर राजनीति की, लंबा संघर्ष किया एनएसयूआई के अंदर, यूथ कांग्रेस में, संकट में आ गई पार्टी तब किया। तब से आज ग्रूमिंग ऐसी हुई कि हम आज भी वहां पर काम करने लायक हैं और इनके मैं खिलाफ नहीं हूं। मैं हमेशा, राहुल गांधी जानते हैं, जब कभी पार्लियामेंट बोर्ड की बैठक होती है तो सबसे ज्यादा पैरवी मैं करता हूं युवाओं की, एनएसयूआई के युवाओं की, यूथ कांग्रेस के युवाओं की, ये ही कल का भविष्य देश का हैं। ये हमसे अच्छी परफॉर्मेंस कर सकते हैं क्योंकि आज आईटी का जमाना है, टेक्नोलॉजी का जमाना है, राजीव गांधी का सपना था 21st सेंचुरी का, आज कंप्यूटर आ गए, सुपर कंप्यूटर आ गए, इनको ज्यादा लाभ है काम करने का, उसकी बजाय आप खाली माहौल बना दो सीनियर-जूनियर-सीनियर-जूनियर, उसका नतीजा है कि आप अतिमहत्वाकांक्षी बन जाओ तो 5-7 लोग ऐसे होते हैं आपको, वो कभी आपको प्रधानमंत्री, कभी मुख्यमंत्री, कभी केंद्रीय मंत्री और कोई पद पर, वो ऐसी बातें फैलाते हैं आपके सामने कि आपकी खुद की सोचने की शक्ति जो है वो पीछे चली जाती है।

    सवाल- एक कहावत है हमारे यहां, क्षमा बड़ेन को शोभत है, छोटेन को उत्पात तो अगर आएं सचिन पायलट क्योंकि आपके प्रवक्ता ने अपील भी की कि आएं, आएंगे तो कैसे व्यवहार करेंगे उनके साथ, अभी उम्मीद है अब ?
    जवाब- जब मैं एमपी बन गया तो वो 3 साल के थे, हमारा उनके घर आना-जाना था आएंगे तो मैं तो उनको सबसे पहले प्यार से गले लगाऊंगा, मेरा उनके प्रति बहुत स्नेह भी है। राजनीति की जगह राजनीति है, पर व्यक्तिगत संबंध 40 साल से हों जिस परिवार के साथ में तो आप सोच सकते हो मेरा क्या रुख रहेगा उनके प्रति।

    सवाल- सरकार स्थिर है सर और कितने विधायकों का क्योंकि कोई 107 कहता है कोई 103 कहता है तो स्पष्ट करें ?
    जवाब- हमारे साथ में 200 विधायक हैं मेरे साथ में क्योंकि मैंने काम ही ऐसे किए हैं, सबको साथ लेकर चला हूं। जब जिंदगी बचाने का वक्त था और अभी भी है, कोरोना की महामारी में तो मैं तमाम पॉलिटिकल पार्टियों को साथ लेकर चला, धर्मगुरुओं को, एक्टिविस्ट्स को, रिटायर्ड डॉक्टरों को, अभी तक मैं सबको साथ लेकर चल रहा हूं। अभी मैंने 21 घंटे की वीसी की है 21 घंटे की वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग, सारे एमएलएज, केंद्रीय मंत्री बीजेपी के, एमपी बीजेपी के, कोई आया, कोई रुका, कोई गया, वसुंधरा राजे जी हमारी पूर्व मुख्यमंत्री, बीजेपी के यहां के अध्यक्ष, नेता प्रतिपक्ष सब थे।

    सवाल- यही तो बेनीवाल ने आरोप लगा दिया कि वसुंधरा राजे और अशोक गहलोत मिले हुए हैं ?
    जवाब- न-न, वो तो नेता प्रतिपक्ष गुलाबचंद कटारिया जी भी थे उसके अंदर, सतीश पूनिया जी भी थे सब थे, तो आप बताइए 21 घंटे मैंने बैठकर बातचीत की और मुझे गर्व इस बात का रहेगा कि पक्ष-विपक्ष सबने गवर्नमेंट का जो काम था कोरोना से लड़ाई लड़ने का कोरोना के खिलाफ में जंग का, उसमें सब लोगों ने सरकार को एप्रिशिएट किया और हमने कोई कमी नहीं रखी, अभी भी कमी नहीं रख रहे हैं।

    सवाल- हां वो मैंने देखा, तमाम जगहों पर आपके होर्डिंग्स लगे हुए हैं, लेकिन राहुल गांधी ने आगे बढ़ाया ज्योतिरादित्य सिंधिया को, सचिन पायलट को, ये लोग छोड़कर जा रहे हैं, आपको लगता है कि राहुल गांधी की लीडरशिप पर भी सवाल हैं?
    जवाब- उनकी लीडरशिप पर नहीं है, इनकी सोच पर है। राहुल गांधी जी की सोच तो देश नहीं दुनिया देख रही है जिस प्रकार से वो इंटरेक्शन कर रहे हैं। राहुल गांधी कितना बड़ा इंटलेक्चुअल है दुनिया को मालूम पड़ गया है और आरएसएस और बीजेपी का तो ये षड्यंत्र होता है कि जो नंबर वन होता है, इंदिरा गांधी थीं, राजीव गांधी थे, सोनिया गांधी थीं, राहुल गांधी बने, नंबर वन कांग्रेस में जो है उसकी छवि खराब कर दो, पूरी पार्टी कॉलेप्स हो जाएगी। तो 50 साल से तो मैं देख रहा हूं, वो खत्म नहीं कर पाए, कांग्रेस मुक्त नहीं कर पाए।

    सवाल- लेकिन आप ही के लोग जा रहे हैं न छोड़कर ज्योतिरादित्य सिंधिया तो आप ही के थे, सचिन पायलट तो आप ही के हैं न?
    जवाब- वो ही मैं कह रहा हूं कि जब रगड़ाई ज्यादा नहीं होती है यूथ कांग्रेस में, एनएसयूआई में और क्योंकि पिताजी का अन्फॉर्च्युनेटली डेथ हो गई तो उनको चांस मिल गया। ये उस तरह के लोग हैं जिनको सोचना चाहिए था कि हमें अपनी विरासत के कारण से अवसर दिया पार्टी ने, बड़ा दिल रखकर दिया। मेंबर ऑफ पार्लियामेंट बना दिया 34 साल की उम्र में, पीसीसी प्रेसिडेंट बना दिया, केंद्रीय मंत्री बना दिया, सिंधिया जी हों, पायलट साहब हों और भी जो नेता हैं उन सबको, तो उनको थोड़ा सब्र करना चाहिए था। जिस नेता ने इनको आगे बढ़ाया है उस नेता पर विश्वास करना चाहिए था। सोनिया गांधी जी के बारे में क्या-क्या लोग नहीं कहते थे, कोई जमाना था, आज सोनिया गांधी जी के प्रति आस्था देश के वासियों की एक्स्ट्रा ऑर्डिनरी क्यों बन गई? अगर सोनिया गांधी के बारे में जो कमेंट सुनते थे उस वक्त में और लोग अगर वो कमेंट सुनकर चले जाते कांग्रेस वाले तो कांग्रेस कहां जाती? क्या नहीं बोलते थे उनके बारे में?

    सवाल- एक राहुल गांधी ने कमेंट किया युवाओं के साथ बैठक करते एनएसयूआई वालों के साथ, उनके साथ उन्होंने यह कहा कि ऐसे लोगों के पार्टी छोड़कर जाने पर घबराइए मत, परेशान मत होइए, जिसको जाना है वो जाएगा, आपके लिए रास्ते खुल रहे हैं?
    जवाब- मैं राहुल गांधी जी के स्टेटमेंट को समर्थन करता हूं और यह बात पहली बार नहीं हो रही है, सालों से हम करते आए हैं। जिसको जाना है वो जाए, जिसका कमिटमेंट है ही नहीं हमारी पार्टी के साथ में, ऐसी लायबेलिटी है पद लेने के लिए बैठी रहती हैं, जो कमिटमेंट वाले लोग हैं, प्रतिबद्ध हैं हमारी विचारधारा के साथ में उनको अवसर नहीं मिलता है। जो अवसरवादी हैं, जो गद्दार हैं, वो टाइमली चले जाएं तो पार्टी का नया रूप उभरकर आएगा ये मैं मानता हूं।

    सवाल- आपके पास होम डिपार्टमेंट भी है, एसओजी ने जो नोटिस दिया था, अभी भी सचिन पायलट से पूछताछ होगी ?
    जवाब- कानून अपना काम करता है, मुझसे भी होगी।

    सवाल- उनसे भी होगी ?
    जवाब- कमाल है, जो नोटिस जाते हैं, और लोगों को भी जा सकते हैं, मान लीजिए, आज मैंने सुना है एक टेप आई है, तो जब टेप आएगी या एसओजी को लगेगा कि वास्तव में जो कंप्लेंट की गई, कंप्लेंट किसने की थी? कांग्रेस ने ही की थी और वो कांग्रेस वालों को पूछो कि आपने कंप्लेंट की थी तो इसमें तथ्य क्या हैं, उसमें हमें संकोच क्यों हो, शर्म क्यों आए, यहां स्वाभिमान कहां बीच में आता है? अगर मैं पूछताछ में अपीयर होऊंगा, तो मेरे स्वाभिमान को कहां चोट लग गई? मैं मुख्यमंत्री हूं, मैं कह सकता हूं क्या कि मैं अपीयर नहीं हुआ क्योंकि मैं मुख्यमंत्री हूं? कानून सबके लिए समान होता है।

    सवाल- वो स्वाभिमान पर चोट की बात जो कह रहे हैं वो?
    जवाब- वो सहानुभूति लेने के लिए कर रहे हैं, बेचारा बनकर राजनीति करने के लिए कर रहे हैं। आपका मीडिया आपके मित्र लोग उनको मैं अपील करना चाहूंगा, खतरे बड़े हैं देश के सामने, चैलेंज बड़ा है डेमोक्रेसी के लिए, दोस्ती अपनी जगह होती है, चौथा स्तंभ है और निष्पक्ष होकर सच्चाई के साथ में रहो, वरना आप जिनका इम्दाद करना चाहते हो, वो इम्दाद नहीं हो रही है। पायलट साहब के साथ में जो आप चाहते हो हम उनको आउट ऑफ दी वे सपोर्ट करें मीडिया में, एक्स्ट्रा ऑर्डिनरी सपोर्ट मिल रहा है उनको मैं देख रहा हूं 10 साल से, वो सपोर्ट उनके लिए घातक है और आपने देख लिया कि घातक हो गया। वो सपोर्ट आर्टिफिशियल सपोर्ट है, वो सपोर्ट उनको खाली खुश करने के लिए है।

    सवाल- जमीन पर नहीं है ?
    जवाब- अगर जमीन पर देखते वो तो मैं समझता हूं कि आज जाने की हिम्मत भी नहीं करते, उनको जमीनी हकीकत मालूम ही रहती तो वो क्यों जाते? वो समझ जाते कि भई मैं कहां स्टैंड कर रहा हूं और बाकि लोग कहां स्टैंड कर रहे हैं, पर मीडिया ने उनको बैठा दिया सिर पर तो वो हकीकत तक पहुंच नहीं पाए और कैजुअलटी हो गई, एक्सीडेंट हो गया कैजुअलटी मतलब एक्सीडेंट भिड़ंत अनावश्यक हो गई।

    सवाल- लेकिन आपको उनके अंग्रेजी बोलने से क्या दिक्कत है ?
    जवाब- नहीं कोई दिक्कत नहीं है, अंग्रेजी भी होगी हिंदी भी होगी, सब भाषाओं का समान रूप से सम्मान है पर जो विशेष रूप से इंग्लिश मीडिया और नए पीढ़ी के जो हमारे बच्चे हैं, बच्चे क्या कहना चाहिए मेरे भाई-बहन हैं, बेटे-बेटी हैं उनको मैं विशेष कहना चाहूंगा, आप शाम को आराम से बैठकर पार्टियां करें कोई दिक्कत नहीं है, इंटरेक्शन करें ज्ञानवर्धन होगा आपस के अंदर, पर दोस्ती आप जब बोलने लगो, उस वक्त दोस्ती को पीछे रखो ये खुद के इंटरेस्ट में है, आलोचना करनी है आलोचना करो, तब नेता बनने वाले को मालूम पड़ेगा भई कि यार ये मैं गलती कर रहा हूं यहां पर या ये मेरी कमजोरी है इसको ठीक करना चाहिए। आपने सचिन पायलट को देश के मीडिया ने हकीकत से रूबरू होने का मौका ही नहीं दिया, इसके कारण से आज ये तकलीफ आ रही है उनके सामने।

    सवाल- आज जो ऑडियो टेप्स आए हुए हैं रिलीज हुए हैं जिसमें एक केंद्रीय मंत्री की बात हो रही है, ये क्या है सर ?
    जवाब- मैंने देखा अभी, सुना, अब बताइए आप इतना बड़ा टेप आ गया और मीडिया साइलेंट देश का मीडिया साइलेंट। अगर कांग्रेस का वीडिया आ जाता तो पता नहीं इस देश का मीडिया कहां का कहां पहुंचा देता, बात को बतंगड़ बना देता। इतना बड़ा आरोप लग गया है, लेनदेन के आरोप लग रहे हैं, केंद्रीय मंत्री, विधायक, पूर्व मंत्री राजस्थान के क्या? इतना क्लियरकट ऑडियो में बोले जा रहे हैं, तब भी देश का मीडिया जो है नहीं दिखा रहा है उनको, वो मालिकों के दबाव में हैं, मालिकों के बगैर तो तुम लोग हिल नहीं सकते हो क्योंकि किसी की 30 पर्सेंट सेलरी कम हो रही है, 60 पर्सेंट हो रही है और घर जाने के नोटिस दिए जा रहे हैं, कैसे बोलोगे? कहां डेमोक्रेसी रहेगी? इसलिए मैं कहना चाहूंगा, अखबारों के मालिकों से मैं कहना चाहूंगा कि आपकी हम सबकी जिम्मेदारी है देश को बचाने की। आज जिस प्रकार से सरकार चल रही है देश की अमित शाह जी और मोदी जी के नेतृत्व के अंदर, डेमोक्रेसी है, चुनाव जीतकर वो आए हैं, हमने ससम्मान विद ह्युमिलिटी स्वीकार किया है उनको प्रधानमंत्री जी के रूप में, पर उनको चाहिए तोड़-फोड़ बंद करें, हॉर्स ट्रेडिंग बंद करें, उनकी थू-थू हो रही है गांव-गांव में, 25 करोड़, 35 करोड़ और 10-10 करोड़ एडवांस में, क्या हो रहा है ? ये उनके खुद के लोग बोल रहे हैं। टीवी में आ रहा है आपके वीडियो में आ रहा है टेप आ रही है, तब भी मीडिया चुप है क्योंकि भय है सरकार से। टेलीफोन पर बात मत करो व्हॉट्सएप पर आओ, ये हो रहा है।

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