इमामबाड़ा सैयद तक़ी साहब अकबरी गेट में अशरए मोहर्रम की तीसरी मजलिस को इनजार नबी व हिदायते वली के उनवान पर संबोधित करते हुए मौलाना सैयद सैफ अब्बास ने कहा कि हमारे नबी ने जिस तरह दीन की सारी बातें बताइ उसी तरह यह भी बताया कि तुम्हारी हिदायत के लि़ए वली छोड रहा हुं। अब कोई भी व्यक्ति उस वक्त तक मुसलमान नहीं हो सकता जब तक विलायत का इक़रार न करे! क्यों कि विलायत दीन का एक हिस्सा है जिसका इंकार करने वाला काफ़िर है! क्यों कि ग़दीर में विलायत मौलाए कायनात अ.स. के एलान के बाद खुदा ने दीन को आयते इक्माल के ज़रिये से कामिल किया है जिसमें फ़रमाया गया है ‘‘आज के दिन दीन कामिल हुआ, नेमतें तमाम हुईं, और अल्लाह इस दीने इस्लाम से राज़ी हुआ। (अल-मायदाः 5 आयत-3) इस से यह साबित होता है कि जब बग़ैर विलायते अली के दीन ही कामिल नहीं है तो फिर कोई मुसलमान कैसे हो सकता है? अब अगर इसके बाद कोई यह कहे कि वह मुसलमान हैं तो वह आतंकवादियों वाले इस्लाम का मान्ने वाला हो सकता है, नबी वाला इस्लाम नही हो सकता। जो रसूल ने अल्लाह के हुक्म से ग़दीर मे हमें देकर गये थे।
अन्त में मौलाना ने मुसलिम इब्ने अकील के दोनो बेटो की शहादत को बयान किया जिसे सुन कर मौजूद अजादारो ने गम मनाया और गिरया किया।