इमामबाड़ा सैय्यद तक्ऱी साहब में अष्रए मजालिस की सातवीं मजलिस को विलायत और अजादारी के उन्वान पर संबोधित करते हुए मौलाना सैय्यद सैफ अब्बास ने कहा कि अहलेबैत की मिसाल उस चिराग़ कि तरह है जो रास्ते मे प्रकाष ;रौषनीद्ध का काम करता है! अब अगर किसी को स्वर्ग ;जन्नत द्ध जाना है तो विलायत की रौषनी मे सिराते मुस्तक़िम पर चलकर जाना होगा क्योकि रसूल स अ ने फरमाया कि मै और अली एक नूर से है और खुदा क़ुआन मे फरमाता है कि हमने तुम्हारी तरफ नूर को और किताब को भेजा है ; सूरा 5 अयत 15 द्धइस बात से पता चलता है कि किताब को समझना है तो विलायते की रौषनी मे समझना होगा तभी किताबे खुदा समझ मे आएगी अब मुसल्मान लाख बार कहता रहे कि हमारे लिए किताबे खुदा काफी है मगर काफी नही हो सकता क्योकि फरमाने रसूल है कि क़ुआन अली अ स के साथ है और असी कुरआन के साथ है! अब जबतक कुरआन के साथ अली को नही मानेगे उस वक्त तक कुरआन समझ मे नही आ सकता!
अन्त में मौलाना सैय्यद सैफ अब्बास ने जनाबे इमाम हसन अ۔स۔ के यतीम बेटे जनाबे कासिम अ۔स۔ की षहादत का दिलसोज़ मन्ज़र पेष किया जिसे सुनकर अज़ादारों ने गिरया व मातम किया। और ताबूते जनाबे कासिम अ۔स۔ की जियारत कराई गई।