प्रयागराज: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने एक सुनवाई के दौरान कहा कि वकालत एक आदर्श व्यवसाय है यदि वकील को व्यक्तिगत व व्यावसायिक सुरक्षा के लिए शस्त्र की जरूरत पड़े, तो यह ऐसी प्रैक्टिस खतरना प्रैक्टिस है
वकील वादकारी के हितों के लिए कोर्ट में बगैर किसी डर के बहस करता है. यदि उसके मस्तिष्क में भय है, तो आदर्श व्यवसाय का पतन हो जायेगा. यह आदेश न्यायमूर्ति सौरभ श्याम शमशेरी ने प्रयागराज दीवानी अदालत के अधिवक्ता राम मिलन की याचिका पर दिया है. कोर्ट ने कहा कि यदि वकील की शस्त्र लाइसेंस की अर्जी बिना ठोस कानूनी आधार के मंजूर की गई तो एक दिन ऐसा आयेगा जब हर वकील शस्त्र लेकर कोर्ट परिसर मैं रहेंगे
कोर्ट ने कहा कि वकील हमेशा सुप्रीम कोर्ट, हाईकोर्ट के फैसलों की बुलेट के साथ कानूनी बहस का हथियार लेकर चलता है. यही उसकी व्यक्तिगत व व्यावसायिक तथा वादकारी की सुरक्षा के लिए काफी है. यही कोर्ट से न्याय पाने के लिए पर्याप्त है. कोर्ट ने कहा कि आमतौर पर व्यावसायिक सुरक्षा के लिए शस्त्र की जरूरत नहीं होती है. वकील के शस्त्र लाइसेंस का आवेदन देने पर कोई रोक नहीं है. उसकी अर्जी पर कानूनी प्रावधानों के तहत विचार किया जाए
बिना मजबूत वजह के वकील का शस्त्र लाइसेंस रखने की सराहना नहीं की जा सकती है. यह आदर्श व्यवसाय के हित में नहीं है. यदि वास्तव में खतरा है तो गवाह संरक्षण योजना 2018 के अंतर्गत पुलिस के पास जाना चाहिए!