2019 की विदाई पर अहिंसा, संविधान और गांधी जी के आदेश को अपनाने की शपथ ले

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    साल 2019 भारतवासियों को सड़क पर छोड़ कर जा रहा है। इस वर्ष ने कराहते हुए अपना सफर पूरा किया। जाते जाते तकलीफ़ इतनी बढ़ गई कि जनता सड़कों पर आ गई और यही दिखाई दे रहा है कि नये वर्ष 2020 का स्वागत जनता बुझे मन और कराहती हुई आत्मा से करेगी।
    जनता की आत्मा पर इतने घाव हैं कि वह 2019 को भूल नहीं सकती। क्या लोकतंत्र, दमन के आगे झुक जाये? क्या जनता अपने अधिकारों को मांगना बंद कर दे? पूरा भारत देश नोटबंदी और जी एस टी जैसी गंभीर बीमारी का शिकार हो चुका था। अभी वह सांस लेने की कोशिश कर रहा था कि सी ए ए, एन सी आर और एन पी आर जैसे विषयों को घातक बना कर जनता पर हमला किया गया। नतीजा जनता सड़कों पर, बेकसूर जेलों में, नेता आलीशान घरों में। ऐसा क्या हुआ कि हमारे देश की पुलिस अपने ही नागरिकों की दुश्मन दिखाई देने लगी। सड़कों पर शांति पूर्ण प्रदर्शन करने वालों पर लाठीचार्ज और गोलियां! घरों में घुसकर महिलाओं की पिटाई! मदरसों में घुसकर छात्रों और ओलमा को बेदर्दी से मारना! नागरिकों के सामान को तोड़ना, ए एम यू और जामिया जैसे विश्वविद्यालय में तोड़फोड़ और छात्रों पर अत्याचार! यही 2019 के ज़ख़्म हैं।
    एक कहानी सुनाता हूं जो विनीता जी ने सुनाया ताकि दर्द कम हो।
    एक हिटलर था वह शाकाहारी था। वो बिलकुल शराब नहीं पीता था । वो गज़ब का orator था। वह बहुत ज्यादा चालाक था। कभी भी जनता के बीच उसने नहीं कहा कि यहूदियों को मार दो। ना ऐसा एक भी डाक्यूमेंट् मिलेगा जहाँ वो इस बात का समर्थन करता हो। उसने 15 September 1935 को Nuremberg Race Law लागू किया। इसमे उसने सभी यहूदियों को आश्वस्त किया कि इससे किसी भी यहूदी को डरने की ज़रूरत नहीं है उनके साथ कुछ बुरा नहीं होगा। इसमें citizenship law के अन्तर्गत सबको अपनी नागरिकता प्रमाणित करने को कहा और यहूदी और जर्मन को segregate किया। सभी यहूदियों को पीले रंग के badges बांधना अनिवार्य किया गया। फिर यहूदियों को सभी सरकारी पदों से अपदस्थ किया गया, उनके व्यवसाय बन्द किये गए। उनकी press पर सेंसरशिप लगा दी। उनको रोजमर्रा के सामान, यहाँ तक कि मेडिकल सुविधा लेने पर भी रोक लगा दी गई।
    चुन चुन कर यहूदी detention camps में भेजे गए, जहाँ बिना भोजन पानी दिए जानलेवा मेहनत करवाई गई और उसके बाद concentration camp ( Gas Chamber) । हां इस पूरी प्रक्रिया के दौरान हिटलर बहुत सतर्क रहा, कि उसकी इस पूरी योजना को कैसे गुप्त रखा जाए तथा बीच बीच में होते प्रतिरोधों को कैसे कुचला जाए। अंततः जब सोवियत सेना ने बर्लिन को पूरी तरह घेर लिया था, तब हिटलर ने आत्महत्या कर ली। 20 November 1945 से 10 October 1946 तक Nuremberg trials हुए जिसमें Nuremberg में दोषी पाए गए सभी राजनैतिक एवं मिलिट्री अधिकारियों को मृत्युदंड दिया गया।
    यह कहानी एक ऐसे व्यक्ति और देश की है जहां संविधान का जनाजा उठ चुका था। मगर हमारे देश वह देश है जहां संविधान का महत्व है। संविधान जिंदा है। गांधी जी देश के आदर्श हैं। अहिंसा हमारा धर्म है। हम सब एक हैं। हर धर्म के लोग एक गुलदस्ते की तरह सड़क पर दिखाई दे रहे हैं।
    हमारा संविधान हमें क्या सिखाता है?
    आइये एक नजर डालते हैं।

    * हमारे संविधान में समाहित जितने भी मूल्य और आदर्श हैं, उनको शामिल किया गया है।*
    We, the people of India: हम, भारत के लोग। यानी संविधान जिनसे बना है।
    Sovereign: संप्रभु। यानी ऐसा देश जो किसी दूसरे के प्रभाव से/प्रभुता से मुक्त है। अपने सभी निर्णय लेने के लिए पूर्णतया स्वतंत्र है, और उस पर किसी बाहरी शक्ति का कोई प्रभाव नहीं होगा।
    Socialist: समाजवादी। एक विचारधारा है जो ये मानती है कि समाज में सभी लोगों तक संपन्नता का हिस्सा पहुंचना चाहिए। धन-सम्पत्ति भी समाज से ही उपजती है। तो उसका बंटवारा भी शांतिपूर्ण और न्यायपूर्ण तरीकों से लोगों के बीच होना चाहिए। लोकतांत्रिक समाजवाद के अनुसार धन समाज के कुछ लोगों तक सीमित नहीं रहना चाहिए।
    Secular: धर्म-निरपेक्ष। यानी भारत देश का अपना कोई घोषित धर्म नहीं है। भारत एक धर्मनिरपेक्ष देश है। यहां पर सरकार और धार्मिक समूहों के बीच कोई भी संबंध यहां के संविधान और कानून के हिसाब से तय होता है। देश के हर नागरिक को अपना धर्म मानने, उसे अपनाने, और उसका प्रचार करने का हक़ है। किसी के साथ उसके धर्म के आधार पर भेदभाव करना गैरकानूनी है।
    Democratic: लोकतांत्रिक। भारत देश की जनता अपने प्रतिनिधि खुद चुनती है। वोट के माध्यम से। सभी के वोटों का महत्त्व बराबर है। जनता के द्वारा जनता का प्रतिनिधि चुना जाता है जनता के लिए।
    Republic: गणराज्य। यानी जनता द्वारा प्रत्यक्ष/अप्रत्यक्ष रूप से चुना गया व्यक्ति ही उसका प्रमुख होगा। ये पद वंशानुगत नहीं होगा।
    ##इसके बाद जो शब्द इस्तेमाल किए गए हैं, उनका अर्थ भी समझ लेते हैं##
    Justice: न्याय। भारत का संविधान सभी नागरिकों को सामाजिक, आर्थिक, और राजनैतिक स्तर पर न्याय देने का वादा करता है.
    Liberty: स्वतंत्रता। अपने विचारों को व्यक्त करने की, अपना धर्म चुनने की, अपने लिए नौकरी चुनने की, अपने प्रतिनिधि चुनने की, अपने और समाज की बेहतरी के लिए विकल्प चुनने की स्वतंत्रता।
    Equality: बराबरी यानी समता। धार्मिक, राजनैतिक, आर्थिक और सामाजिक स्तर पर लोगों के बीच राज्य की तरफ से कोई भेदभाव नहीं होगा। संविधान की नज़र में सब बराबर हैं।
    Fraternity: भाईचारा/बंधुत्व। सभी नागरिकों के बीच आपसी भाईचारे की भावना को बढ़ावा देना।
    यह है हमारा संविधान जो हमारे देश की मजबूती का कारण है।
    अब इसके बाद सरकार को यह तय करना होगा कि वह संविधान के अनुसार कार्य कर रही है या नही! पुलिस प्रशासन संविधान के अनुरूप कदम उठा रहा है या नहीं!
    जनता को यह फैसला लेना होगा कि हम अहिंसा, संविधान और गांधी जी के आदर्शों को अपने जीवन में समेटे रहेंगे।

    मैं समस्त देशवासियों को नए वर्ष की शुभकामनाएं देता हूं और दुआ करता हूं कि नया वर्ष सभी लोगों के जीवन में सुख, समृद्धि और खुशहाली लेकर आए। हम सब मिलकर अपने पूर्वजों/पुरखों के सपनों के अनुरूप स्वास्थ्य, खुशहाल और समृद्ध ’हिंदोस्तान’ का सपना साकार करें, जिसमें किसान, मजदूर, गरीब, पिछड़े, युवा और महिलाएं सहित समाज के सभी वर्गों के लोग खुशहाल/आबाद हों।
    जय हिन्द।
    नव वर्ष मंगलमय हो।

    सैय्यद एम अली तक़वी
    ब्यूरो चीफ- दि रिवोल्यूशन न्यूज, लखनऊ
    निदेशक- यूरिट एजुकेशन इंस्टीट्यूट, लखनऊ
    उप-निदेशक- स्पेशल क्राइम ब्यूरो, लखनऊ
    syedtaqvi12@gmail.com

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