बॉम्बे हाई कोर्ट आजकल अपने फैसले सुनाने को लेकर चर्चा में है। जहां 19 जनवरी 2021 को एक फैसला सुनाते हुए जस्टिस पुष्पा गनेड़ीवाला ने यौन उत्पीड़न के मामले में फैसला सुनाते हुए कहा था किसी गतिविधि को यौन शोषण की श्रेणी में तभी माना जाएगा जब त्वचा से त्वचा के संपर्क के बिना यौन उत्पीड़न नहीं होगा ।जैसा कि पाक्सो कानून में जिसको परिभाषित किया गया ।जिसकी पूरे देश में आलोचना होने के बाद सुप्रीम कोर्ट ने फैसले पर रोक लगा दी थी।
कल मुंबई हाई कोर्ट ने पुनः एक फैसला सुनाते हुए कहा कि पाक्सो कानून के तहत बच्ची का हाथ पकड़ कर पैंट की जिप खोलना यौन शोषण के दायरे में नहीं आता। इसे आईपीसी धारा 354ए (आई) के तहत यौन उत्पीड़न के दायरे में आता है।