हुब्बूल वतन मिन अल-ईमान” प्रोफेट मुहम्मद,78 वीं यौमे मेंआजादी मुबारक हो

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हुब्बूल वतन दीन का इमान प्रोफेट मुहम्मद, यौमे आज़ादी की सबको मुबारकबादप्रो

फेट मोहम्मद (सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम) ये कथन अन्य हदीस संग्रहों में भी उल्लिखित हैं जैसे कि:1

,हुब्बूल वतन दीन” (हदीस संख्या: 2643) सुनन अबू दाऊद

2,हुब्बूल वतन मिन अल-ईमान” (हदीस संख्या: 1914) – सहीह मुस्लिम
3,हुब्बू ल वतन दीन अल-मुस्लिम (हदीस संख्या: 1234) सुनन इब्न माजा

इन हदीसों से यह स्पष्ट होता है कि प्रोफेट मोहम्मद (सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम) ने अपने अनुयायियों को जिस देश में रहो, उससे मोहब्बत करो और उसके प्रति वफ़ादार रहने के लिए प्रोत्साहित किया है , और यह कि ये ईमान का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है।,
प्रोफेट मोहम्मद की इन्हीं शिक्षाओं पर अमल करते हुए हिंदुस्तान के मुसलमानो ने ब्रिटिश हुकूमत को उखाड़ फेकने में सबके साथ अपनी भी शहादत ज्यादा से ज्यादा पेश की,
हिंदुस्तान के बड़े,बूढ़े,जवान बच्चों और महिलाओं में अपनी शहादत एवं आंदोलन में भाग लेने के बाद आजादी मिली, लेकिन उस समय की कुछ राजनीतिक पार्टी के पद का मोह की वजह से देश का एक अंग काटकर पाकिस्तान बनाया गया, हमारे पिता श्री स्वर्गीय सैयद हुसैन ज़ैदी जोकि जंगे आजादी में शामिल थे कहते थे मै पाकिस्तान जा सकता था लेकिन प्रोफेट मोहम्मद के उपरोक्त हदीस को सामने रखते हुए और इस मिट्टी से मोहब्बत और वफादारी की वजह से हम नहीं गए, और ज्यादातर लोग नहीं गए, जहां पैदा हुए हैं वहीं मारेंगे वही की मिट्टी के नीचे दफन होंगे,
इसी पर हमारे दोस्त डॉ अनूप कुछ पंक्तियां गुनगुनाते हैं, वो पंक्तियां मुझे बहुत अच्छी लगती हैं,और मुझे याद हो गई है उसको मैं आपके सामने रख रहा हूं
चलो फिर से वो नज़ारा याद कर ले
शहीदों के दिल में थी,
जो ज्वाला वो याद कर ले
जिसमें बहकर आज़ादी पहुंची थी किनारे पर, बलिदानियों के खून की वो धारा याद कर ले, तो हमारे हिंदुस्तानी भाइयों दोस्तों माता बहनों हमको एक दूसरे का धर्म भूलकर धर्म का मूल्य भारत से प्यार भारतीयों से प्यार कायम रखना है आप सबको यौमे आज़ादी की बहुत-बहुत मुबारकबाद हिंदुस्तान जिंदाबाद हिंदुस्तान जिंदाबाद

फ्रीलांसर
शाबू ज़ैदी
7617032786

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