लखनऊ 12 मई 2020 कोरोना संकट से निपटने के लिए देश भर में लगाए लॉकडाउन को करीब 50 दिन होने जा रहे हैं। लॉकडाउन की वजह से उद्योग-धंधे ठप हो चुके हैं, जिससे देश और राज्य अर्थव्यवस्था पूरी तरह से चरमरा गई है। इससे उबरने और दोबारा से उद्योगों को पटरी पर लाने के लिए राज्य सरकार ने श्रम कानूनों में बदलाव करने भी शुरू कर दिए हैं, जिसके विरोध में सुर भी उठने लगे हैं। इसके बावजूद देश के छह राज्य अपने श्रम कानूनों में कई बड़े बदलाव कर चुके हैं।
श्रम कानूनों में बदलाव की पहले शुरूआत राजस्थान की। गहलोत सरकार ने बदलाव काम के घंटों को लेकर किया। इसके बाद फिर मध्य प्रदेश की शिवराज सरकार ने बदलाव किया तो 7 मई को उत्तर प्रदेश और गुजरात ने भी लगभग 3 साल के लिए श्रम कानूनों में बदलावों की घोषणा कर दी। अब महाराष्ट्र, ओडिशा और गोवा सरकार ने भी अपने यहां नए उद्योगों को आकर्षित करने और ठप पड़ चुके उद्योगों को गति देने के लिए श्रम कानूनों में बदलाव किए हैं।
उत्तर प्रदेश सरकार ने अगले तीन साल के लिए उद्योगों को श्रम कानूनों से छूट देने का फैसला किया है। राज्य सरकार ने अर्थव्यवस्था और निवेश को पुनर्जीवित करने के लिए उद्योगों को श्रम कानूनों से छूट का प्रावधान किया है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की अध्यक्षता में हुई राज्य मंत्री परिषद की बैठक में ‘उत्तर प्रदेश चुनिंदा श्रम कानूनों से अस्थाई छूट का अध्यादेश 2020’ को मंजूरी दी गई, ताकि फैक्ट्रियों और उद्योगों को तीन श्रम कानूनों तथा एक अन्य कानून के प्रावधान को छोड़कर बाकी सभी श्रम कानूनों से छूट दी जा सके।