संभवत हो सकता है उत्तर प्रदेश भाजपा मंत्री परिषद का विस्तार
उत्तर प्रदेश में आगामी विधानसभा चुनाव से पहले उत्तर प्रदेश सरकार का दूसरा मंत्रिमंडल विस्तार की चर्चा आजकल हो रही। प्रदेश की राज्यपाल आनंदीबेन पटेल ने मध्य प्रदेश के सभी कार्यक्रम निरस्त करके अचानक लखनऊ पहुंच गई हैं।
अचानक आनंदीबेन पटेल का लखनऊ पहुंचना , राजभवन में शुरू हुई तैयारियों के बाद यह लगभग तय हो गया है कि उत्तर प्रदेश मंत्रीमंडल का दूसरा विस्तार 28 या 29 मई के बीच में होने की उम्मीद है । मंत्रिमंडल विस्तार का समय और तारीख अभी फाइनल नहीं किया गया है, लेकिन तैयारियां शुरू कर दी गई हैं।
सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार पूर्व आईएएस एके शर्मा को डिप्टी सीएम बनने की चर्चा जोरों पर है । वहीं, केशव प्रसाद मौर्य को उत्तर प्रदेश भाजपा की कमान सौंपते हुए ओबीसी चेहरे के साथ भाजपा चुनाव में जा सकती है।
इससे पूर्व 22 अगस्त 2019 को उत्तर प्रदेश की योगी सरकार ने मंत्रिमंडल विस्तार किया था। उस दौरान उनके मंत्रिमंडल में 56 सदस्य थे। कोरोना के चलते तीन मंत्रियों का निधन हो चुका है। हाल ही में राज्यमंत्री विजय कुमार कश्यप की मौत हुई थी, जबकि पहली लहर में मंत्री चेतन चौहान और मंत्री कमल रानी वरुण का निधन हो गया था।
यूपी में कैबिनेट मंत्रियों की अधिकतम संख्या 60 तक हो सकती है। पहले मंत्रिमंडल विस्तार में 6 स्वतंत्र प्रभार मंत्रियों को कैबिनेट की शपथ दिलाई गई थी। 3 नए चेहरों के साथ राज्यमंत्री को मिलाकर 6 स्वतंत्र प्रभार मंत्रियों को शपथ दिलाई गई थी और 11 विधायक को राज्य मंत्रियों को उत्तर प्रदेश सरकार में जगह मिली थी।
उत्तर प्रदेश सरकार में अधिकतम 60 मंत्री बनाए जा सकते हैं। मौजूदा समय में योगी सरकार के मंत्रिमंडल में 23 कैबिनेट मंत्री, 9 स्वतंत्र प्रभार मंत्री और 22 राज्यमंत्री हैं। इस तरह से यूपी सरकार में फिलहाल कुल 54 मंत्री हैं, जिसके लिहाज से 6 मंत्री पद अभी भी खाली है।
कोरोना महामारी में कोरोना से उपजे असंतोष और पंचायत चुनाव में मिली हार के बाद से भाजपा की चिंता अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव को लेकर बढ़ गई है। सूबे के विधानसभा चुनाव में महज आठ महीने का समय बाकी है।
6 मंत्री ले सकते हैं शपथ–
योगी सरकार में फिलहाल 6 मंत्री पद खाली पड़े हैं। ऐसे में योगी सरकार अगर अपने कैबिनेट से किसी भी मंत्री की नहीं हटाती है तो भी 6 नए मंत्री बनाए जा सकते हैं। ऐसे में चुनावी साल होने के चलते योगी सरकार अपने कैबिनेट में कुछ नए लोगों को शामिल कर प्रदेश के सियासी समीकरण को साधने का दांव चल सकती है।