पूर्व विधायक इरफान सोलंकी की पत्नी श्रीमती नसीम सोलंकी को मौलाना की हिदायत ?
शाबू ज़ैदी
उत्तर प्रदेश के कानपुर में सीसामऊ विधानसभा क्षेत्र में उपचुनाव हो रहे हैं, जिसमें पूर्व विधायक इरफान सोलंकी की पत्नी नसीम सोलंकी चुनाव मैदान में हैं। चुनाव प्रचार के दौरान उन्होंने बनखंडेश्वर मंदिर में पूजा-अर्चना की, जिसकी कई राजनीतिक पार्टियों ने आलोचना की। एक मौलाना ने उन्हें इस्लाम से खारिज करने और तौबा करने की नसीहत दे डाली।
यह मुद्दा न केवल राजनीतिक है, बल्कि समाजिक और धार्मिक भी है। नसीम सोलंकी के ससुर, इरफान सोलंकी के पिता, जो खुद पूर्व विधायक थे, जरूरतमंद लोगों की मदद करते थे, चाहे वह किसी भी धर्म के हों। ऐसे में मौलाना की टिप्पणी कई सवाल उठाती है।
क्या मुस्लिम महिलाओं को जय श्री राम. नहीं कहने की वजह से खाना नहीं दिया जाता है? क्या हमारे समाज में ऐसे हालात बन गए हैं कि महिलाएं, बुजुर्ग, और बच्चे सड़कों पर भीख मांगते हैं? क्या मुस्लिम समाज को अपनी नैतिक जिम्मेदारियों को समझने की जरूरत नहीं है? ये सवाल हमें अपने समाज की दिशा और हमारी नैतिक जिम्मेदारियों के बारे में सोचने पर मजबूर करते हैं।
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