जिला गन्नाधिकारी रत्नेश्वर त्रिपाठी का द्वारा बताया गया कि इस बार ज्यादा गन्ने की बुआई हुई है। दूसरी फसलों के खराब होने से किसानों को लागत जाने का डर रहता है। गन्ने की खेती में ज्यादा नुकसान नहीं होता है। गन्ने की फसल उधार में दिए जाने के बाद भी किसानों का पैसा सुरक्षित रहता है। गन्ने की पैदावार का रकबा कम होने के बाद भी फसल बेहतर रही, इसे किसानों की मेहनत का ही फल समझा जाएगा। यह सही है कि जनपद में अब गन्ने का रकबा घट गया है। जनपद में गत वर्ष के कुल देय गन्ना मूल्य भुगतान का शत प्रतिशत भुगतान किया जा चुका है तथा वर्तमान वर्ष में भी कुल 134 करोड़ गन्ना मूल्य भुगतान देय के सापेक्ष 120 करोड़ का भुगतान कृषकों के खातों में किया जा चुका है।
गन्ना पेराई सत्र सर्वेक्षण वर्ष 2020-21
चीनी मिलवार – गेटक – गन्ना क्रय केन्द्रवार – गन्ना हेक्टेयर
हैदरगढ़ – 568.464 – 3566.748 – 4135.212
रौजागांव – 200.648 – 3154.355 – 3355.003
कुल योग – 769.112 – 6721.103 – 7490.215
खेतों में पराली जलाने की समस्या से निपटने के लिए कृषि विभाग इस पर रोक लगाने के लिए कंबाइन हार्वेस्टर मशीन में स्ट्रा मैनेजमेंट सिस्टम केे प्रयोग की सलाह दे रहा है। पराली जलाने पर कड़ी कार्रवाई की चेतावनी विभाग द्वारा जारी की जाती रही है। उप कृषि निदेशक अनिल सागर ने बताया कि किसान अपने खेतों में पराली कतई न जलाएं, क्योंकि इससे फसल के लिए बेहतरीन जमीन को काफी नुकसान पहुंचता है। फसल के उत्पादन पर भी प्रभाव पड़ता है। इसके अलावा शासन द्वारा पराली जलाने पर रोक लगाने के लिए लगातार निर्देश जारी किए जा रहे हैं। उन्होंने बताया कि फसल अवशेष के बेहतर प्रबंधन के लिए कृषि यंत्रों, पैडी व स्ट्रारीपर का प्रयोग कर सकते हैं। इसके बाद भी यदि कोई पराली जलाता है तो उस पर अनिवार्य रूप से कार्रवाई की जाएगी।