विश्व के राजनीतिक पटल पर एकमात्र लौह महिला इंदिरा गांधी

    0
    160

    वर्तमान समय में देश में जिस तरह से राजनीति चल रही है या जो राजनीति की तस्वीर नजर आ रही है उससे यह साफ पता चलता है कि इस वक्त कोई भी पार्टी हो सबको अपनी चिंता है। किसी को ना तो रोजगार की चिंता है ना तो किसी तरह की की चिंता है ना महंगाई की चिंता है ना व्यवसाय की चिंता है ना शिक्षा की चिंता है अगर उनको चिंता है तो यह है कि कैसे कांग्रेस पार्टी को सत्ता से दूर रखा जाये। यही देश का दुर्भाग्य है। यह स्वस्थ राजनीति नहीं है ऐसी राजनीति जो बीमार नजर आती है।
    इंदिरा प्रियदर्शनी गाँधी जिनका जन्म 19 नवम्बर, 1917 को इलाहाबाद में हुआ था और मृत्यु 31 अक्टूबर, 1984 को दिल्ली में हुई। इंदिरा गांधी न केवल भारतीय राजनीति पर छाई रहीं बल्कि विश्व राजनीति के क्षितिज पर भी वे एक जबरदस्त प्रभाव छोड़ गईं। श्रीमती इंदिरा गाँधी का जन्म नेहरू ख़ानदान में हुआ था। इंदिरा गाँधी, भारत के प्रथम प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू की इकलौती पुत्री थीं। आज भी इंदिरा गाँधी अपनी प्रतिभा और राजनीतिक दृढ़ता के लिए ‘विश्वराजनीति’ के इतिहास में जानी जाती हैं और इंदिरा गाँधी को ‘लौह-महिला’ के नाम से संबोधित किया जाता है। इंदिरा गांधी भारत की प्रथम महिला प्रधानमंत्री थीं।
    इंदिरा गांधी पढ़ाई में एक सामान्य दर्जे की छात्रा रही मगर उन्हें विश्व राजनीति में लौह-महिला (आयरन लेडी) के रूप में जाना जाता है। वैयक्तिक तौर पर वह एक दृढ़ निश्चयी और निर्णय लेने में आत्म-निर्भर महिला थीं। भले ही राजनैतिक पृष्ठभूमि और स्वतंत्रता आंदोलनों की वजह से उन्हें परिवार का प्यार और दुलार प्राप्त नहीं हो सका, लेकिन ब्रिटिश काल में भारत के बिगड़ते हालातों ने उन्हें इन आंदोलनों और संपूर्ण स्वाधीनता की जरूरत को भली प्रकार समझा दिया था। जिसकी झलक इंदिरा गांधी की जिंदगी में साफ़ दिखाई देती थी। इन्दिरा गांधी ने अपने पिता को कार्यकताओं को संबोधित करते हुए सुना था। परिवार में अकेले होने के कारण उनका अधिकतर समय पिता की नकल करते हुए ही गुजरता था। उनके जैसी भाषण शैली में उनके पिता पं जवाहर नेहरू के प्रभाव को महसूस किया जा सकता था। ऐसी सामाजिक और पारिवारिक परिस्थितियों ने उन्हें एक मजबूत व्यक्तित्व प्रदान किया जो आगे चलकर उनके सफल राजनैतिक जीवन का आधार बना।
    इंदिरा गांधी ने भारत देश की उन दिनों की स्थिति को भी देखा जब भारत गुलाम था। और उनकी कुशाग्र बुद्धि और विवेक ने ही गुलाम भारत की चिंतनीय स्थिति को बचपन में ही भांप लिया था। उनको यह समझ आ गया था कि किसी भी राष्ट्र के लिए स्वतंत्रता कितनी जरूरी है। क्रांतिकारियों और आंदोलनकारियों की सहायता करने के उद्देश्य से उन्होंने अपने हम उम्र बच्चों और कुछ मित्रों के सहयोग से ‘वानर सेना’ का गठन किया जिनका उद्देश्य देश की आजादी के लिए लड़ रहे लोगों को गुप्त और महत्वपूर्ण सूचनाएं प्रदान करना था। यह एक बहुत ही दिलेर काम था और इसमें खतरा भी था लेकिन इंदिरा गांधी ने इस काम को पूरा करने को ठान लिया था। इंदिरा गांधी को राजनीति की समझ विरासत में मिली थी, जिसकी वजह से वह जल्दी ही राजनीति में भी आ गई। यहां तक की उनके पिता पं जवाहर लाल नेहरू भी कई मसलों पर इंदिरा गांधी की राय लेते और उसे मानते थे। उचित और तुरंत निर्णय लेने की क्षमता ने कॉग्रेस सरकार में इंदिरा गांधी की महत्ता और उनके कद को कई गुना बढ़ा दिया था। अपने दृढ़ और मजबूत इरादों और अच्छे आचरण की वजह से वह दो बार देश की प्रधानमंत्री रहीं। खलिस्तान आंदोलन को कुचलने और स्वतंत्र भारत में व्याप्त रजवाड़ों का प्रीवी-पर्स समाप्त करने का श्रेय इंदिरा गांधी को ही जाता है। अपनी राजनैतिक जिम्मेदारी को बखूबी निभाते हुए उन्होंने दो दशकों तक देश को मंदी के हालातों से बचाए रखा। देश को अधिक मजबूत और सशक्त बनाने के लिए इंदिरा गांधी ने कई प्रयास भी किए। इसके अलावा देश में पहला परमाणु विस्फोट करने का श्रेय भी मुख्य रूप से इंदिरा गांधी को ही जाता है।
    इंदिरा गांधी की जिन उपलब्धियों की चर्चा राजनीति के गलियारे में की जाती है उनमें बैंकों का राष्ट्रीयकरण,
    रजवाड़ों का प्रीवी-पर्स समाप्त करना, ऑप्रेशन-ब्लू स्टार जिससे खालिस्तानी आंदोलन को समाप्त किया गया।
    पांचवी पंचवर्षीय योजना के अंतर्गत गरीबी हटाओ का नारा और देश से निर्धनता समाप्त करने के बीस सूत्रीय कार्यक्रमों का निर्धारण प्रमुख हैं।
    आज के आजाद भारत में राजनीति करने वाली पार्टियां विशेष रूप से भारतीय जनता पार्टी जो ऐसा लगता है कि हाथ धो करके कांग्रेस और विशेष रूप से गांधी परिवार के पीछे पड़ गई है यह किसी भी तरह से उचित नहीं है।
    राजनीति स्वस्थ रुप से स्वस्थ होकर करना चाहिए बीमार होकर राजनीति करना अच्छा नहीं है। किसी भी तरह की कोई भी बात हो घूम फिर कर के नेहरू इंदिरा और राजीव जी का नाम वर्तमान सत्ता में बैठी पार्टी लेती हैं यह उनकी सोच को दर्शाता है यह उनकी राजनीति के क्षेत्र में अपरिपक्वता को दर्शाता है। आज जिस भारत देश में भारतीय जनता पार्टी राजनीति कर रही है यह भारत देश नेहरू, शास्त्री, इंदिरा और राजीव जैसी शख्सियतों के हाथों से गुजरता हुआ आज यहां तक पहुंचा है।
    सत्ता में बैठी हुई पार्टी को सोचना चाहिए कि राजनीति के स्तर पर विरोध एक अलग चीज है लेकिन 1947 में देश की आजादी के बाद देश को संभालना इतना आसान नहीं था और ऐसे समय में नेहरू शास्त्री और इंदिरा गांधी जैसे लोगों ने देश की बागडोर संभाली और देश को प्रगति के रास्ते पर ले गए।
    इतिहास गवाह है कि 1947 में देश की आजादी के बाद अंग्रेज भारत को बिल्कुल खोखला करके गये थे सब कुछ बर्बाद करके गये थे। लेकिन देश की बागडोर संभालने वाली शख्सियतों ने धीमे-धीमे आगे बढ़ते हुए देश को तरक्की के रास्ते पर ले जाने का प्रयास किया। वह जवाहरलाल नेहरू हो या लाल बहादुर शास्त्री, इंदिरा गांधी हो या राजीव गांधी । सब ने देश की तरक्की के लिए काम किया।
    इंदिरा गांधी वह शख्सियत थीं जिन्होंने 1971 के भारत पाक युद्ध में विश्व शक्तियों के सामने न झुकने के नीतिगत और समय के अनुकूल निर्णय लेकर पाकिस्तान को परास्त किया और बांग्लादेश को मुक्ति दिलाकर स्वतंत्र भारत को एक नया गौरवपूर्ण क्षण दिलवाया। दृढ़ निश्चयी और किसी भी परिस्थिति से जूझने और जीतने की क्षमता रखने वाली प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने न केवल इतिहास बल्कि पाकिस्तान को विभाजित कर दक्षिण एशिया के भूगोल को ही बदल डाला ।
    इन्दिरा जी शारीरिक रूप से हमारे बीच नहीं है लेकिन वह एक साहसी आयरन लेडी के सूक्ष्म रूप में देश सहित सारे विश्व का सदैव मार्गदर्शन करती रहेंगी। जब तक सूरज चाँद रहेगा, इन्दिरा तेरा नाम रहेगा। इंदिरा के दौर में लगने वाला यह नारा आज भी अपने आप को सच साबित कर रहा है राहुल गांधी और प्रियंका गांधी की शक्ल में इंदिरा गांधी के खून की दो बूंदें देश सेवा करने के लिए मौजूद हैं।
    देश की जनता को अपने महान नेताओं के बलिदान को कभी नहीं भूलना चाहिए। चाहे हम किसी भी राजनीतिक दल के समर्थक क्यों न हो? देश सदैव अपने दिवंगत राजनेताओं के बलिदान तथा त्याग का ऋणी रहेगा।
    मैं भी एक लेखक और जिम्मेदार नागरिक के रूप में अपनी लेखनी के द्वारा यथाशक्ति अपना योगदान दे रहा हूं। आप भी इस युग की सबसे बड़ी आवश्यकता के सहयोगी बनकर पुनीत कार्य में अपना योगदान देने के लिए आगे आये। चाहे आप किसी भी राजनैतिक पार्टी से जुड़े हो सच को सच मानकर और गलत को गलत मानकर देश को और आगे बढ़ाने, सांप्रदायिक सद्भाव बढ़ाने, आपसी भाईचारा ,मेलजोल, मोहब्बत, को बढ़ावा देने के अपने महत्वपूर्ण दायित्व को भी निभाये।
    जय हिन्द।

    सैय्यद एम अली तक़वी
    syedtaqvi12@gmail.com

    LEAVE A REPLY

    Please enter your comment!
    Please enter your name here