विलायत को ह्रदय से स्विकार करते है तो हमे उसूले दीन और फरुवे दीन दोनो मिल जाएगें : मौलाना सैफ अब्बास

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इमामबाड़ा सैयद तक़ी साहब अकबरी गेट में अषरए मोहर्रम की पॉचवीं मजलिस को विलायत के उन्वान पर संबोधित करते हुए मौलाना सैयद सैफ अब्बास ने कहा कि विलायत की महत्वो को जनने की अवष्यकता है! कि इसको दीन में क्यों रक्खा है? इस लिए रक्खा है ताकी दीन को समझने में आसानी हो! क्योकि सही दीन वही बता सकता है जिसके सामने यह दीन आया हो इसी लिए इस्लाम में लोगो की आसानी के लिए उसूले दीन और फरुवे दीन को दो भाग में बाट कर एक इन्सान के खूद के जीवन को समझा दिया है जिस तरह से इन्सान का जो अपना निजी जीवन है वह उसूले दीन है और जो उसका समाजिक जीवन है वह फरुवे दीन है! अगर इस चीज को किसी एक व्यक्ति मे समेटा जाए तो हजरत अली की जीवन मे मिलेगा जिनकी आज्ञा का पालन करना हमारे लिए अनिवार्य कर दिया है और अगर हम हजरत अली की विलायत को ह्रदय से स्विकार करते है तो हमे उसूले दीन और फरुवे दीन दोनो मिल जाएगें।
अन्त में मौलाना सैयद सैफ अब्बास ने जनाबे जैनब के बेटों के मसायब पढे जिसे सुनकर अज़ादारों ने गिरया व मातम किया। और ताबूते औन व मोहम्मद की जियारत कराई गई व तबर्रुकात बाटा गया ।

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