04/06/2020
वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गेनाइजेशन (WHO) ने COVID-19 को लेकर एंटी-मलेरिया ड्रग हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्वीन (Hydroxychloroquine) का परीक्षण फिर से शुरू करने के लिए कहा है. बता दें कि इससे पहले डब्ल्यूएचओ ने कोविड-19 के प्रायोगिक उपचार में मलेरिया रोधी दवा हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन के वैश्विक परीक्षण पर अस्थायी रूप से रोक लगाई थी। इसके बाद कुछ विशेषज्ञों का मानना था कि डब्ल्यूएचओ के फैसले के बाद, देश के अस्पतालों को कोविड-19 मरीजों के इलाज में हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन (एचसीक्यू) और क्लोरोक्वीन का उपयोग बंद करना होगा, जबकि अन्य का मानना है कि वैश्विक स्वास्थ्य संस्था के फैसले का अनुपालन करना भारत के लिये बाध्यकारी नहीं है।
25 मई को संवाददाता सम्मेलन में डब्ल्यूएचओ महानिदेशक टेड्रोस एडनोम गेब्रेयेसस ने कहा था कि पिछले हफ्ते लांसेट जर्नल में प्रकाशित एक अध्ययन के मुताबिक हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन ले रहे लोगों को मृत्यु और हृदय संबंधी समस्याओं का अधिक खतरा होने को ध्यान में रखते हुए हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन के वैश्विक चिकित्सीय परीक्षण (क्लीनिकल ट्रायल) पर अस्थायी रोक होगी। डब्ल्यूएचओ ने कहा कि इसके विशेषज्ञों को अब तक उपलब्ध सभी साक्ष्यों की समीक्षा करने की जरूरत है। जब दुनिया भर में देशों ने कोविड-19 रोगियों के इलाज के लिये हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन के इस्तेमाल की संभावना तलाशी है, ऐसे में मई के शुरूआती हफ्तों में कई विशेषज्ञों ने चेतावनी देते हुए कहा था कि यह कोई चमत्कारिक औषधि नहीं है और कुछ मामलों में यह घातक भी हो सकता है।
बता दें कि महामारी के तेजी से फैलने और कोविड-19 के प्रभावी उपचार की तात्कालिकता को लेकर अमेरिका सहित कई देशों ने हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन पर निर्भर होना शुरू कर दिया है। भारत इस दवा का सबसे बड़ा आपूर्तिकर्ता है और उसने अमेरिका, संयुक्त अरब अमीरात और ब्रिटेन जैसे देशों को इसकी बड़ी मात्रा में आपूर्ति की है। इस मलेरिया रोधी दवा को अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के अचूक दवा होने का दावा करने के बीच ट्रंप प्रशासन ने काफी मात्रा में हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन की गोलियां जुटा ली हैं।