मेरठ 30 अप्रैल 220 मेरठ को सांप्रदायिक दंगों के कारण कलंक मिला हुआ हैं वहीं दूसरी ओर यह क्रांतिकारी धरा हिन्दू-मुस्लिम एकता की मिसाल भी बेहतर तरीके से देना जानती है। यहां जब भी दोनों कौम के भाइयों को किसी के कांधे की जरूरत पड़ी दोनों ही मजहबों के लोगों ने खुले दिल से एक-दूसरे का साथ दिया और अपनी जिम्मेदारी भी निभाई। ऐसी ही एक मिसाल लॉकडाउन और रमजान के बीच मंगलवार को देखने को मिली। जब पुजारी की मौत के बाद मुस्लिम समाज के लोग आगे आए और उन्होंने न सिर्फ अर्थी को कंधा दिया बल्कि अंतिम संस्कार की सभी रस्मों में पूरी तरह से अपनी जिम्मेदारी भी निभाई। शव को कंधा देने में मुस्लिम समाज के लोग अपना रोजा खोला भी भूल गए और जब तक अर्थी को अग्नि नहीं मिल गई रोजा नहीं खोला।
मोदी कैबिनेट का बड़ा फैसला: जनगणना में जातिगत गिनती, आतंकवाद के खिलाफ कड़ा रुख
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में केंद्रीय कैबिनेट की बैठक में कई महत्वपूर्ण निर्णय लिए गए। इनमें जातिगत जनगणना को मंजूरी देना और आतंकवाद...
ICSE और ISC 2025 टॉपर्स की जानकारी ICSE कक्षा 10 टॉपर्स
प्रगति गिरीश आठरे (ग्रीनवुड हाई इंटरनेशनल स्कूल) ने 99.80% अंक प्राप्त किए।
स्वर्णा चौधरी, आन्या पी. मिन्नमरेड्डी, और राघव दीक्षित (उसी स्कूल से) ने...
वैभव सूर्यवंशी: बिहार का युवा क्रिकेट सनसनी*
वैभव सूर्यवंशी एक युवा और होनहार क्रिकेटर हैं जिन्होंने हाल ही में आईपीएल में राजस्थान रॉयल्स के लिए डेब्यू किया है।
उनकी प्रतिभा और...
एकजुटता का आह्वान: वक्फ संशोधन अधिनियम 2025 के खिलाफ शांतिपूर्ण विरोध शाबू ज़ैदी
ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के नेतृत्व में मुस्लिम समुदाय वक्फ संशोधन अधिनियम 2025 के कुछ विवादास्पद प्रावधानों के खिलाफ शांतिपूर्ण और संवैधानिक...
गर्मी के मौसम में खरबूजे के अद्भुत फायदे
खरबूजा गर्मी के मौसम में एक वरदान है, जो न केवल स्वादिष्ट है, बल्कि इसमें कई पोषक तत्व भी होते हैं जो स्वास्थ्य के...