लखनऊ 14 अप्रैल 2020। आज कोरोना के संक्रमण से पूरी दुनिया प्रभावित है। ज्यादातर देशों में लोग लॉक डाउन में रह रहे हैं। भले ही आधुनिक चिकित्सा पद्धति में कोविड-19 का कोई मुकम्मल इलाज अभी तक नहीं है, मगर इससे घबराएं नहीं। हमारी वैदिक संस्कृति में आयुर्वेद में रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने वाले ऐसे तमाम उपाय बताए गए हैं जो शरीर को स्वस्थ रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। तो ऐसे में क्यों न चिकित्सकों की देखरेख में आयुर्वेद की दवाओं का असर देखा जाए। हमारे देश में केरल और गोवा राज्यों ने जिस तरह से इसको लागू किया है, वैसे ही उत्तर प्रदेश व अन्य राज्य को भी कोविड-19 के संक्रमितों पर इसका असर देखना चाहिए।
हमें एक ही चिकित्सा पद्धति पर आश्रित नहीं होना चाहिए। आधुनिक चिकित्सा पद्धति 200-300 सालों से ही है उसके पूर्व सदियों से आयुर्वेद द्वारा ही चिकित्सा होती थी। यह कहना है राज्य आयुर्वेद कॉलेज एवं अस्पताल के सहायक प्रोफ़ेसर डॉ. मनदीप जायसवाल का |
डॉ. जायसवाल का कहना है कि ‘आयुर्वेद में बहुत सी ऐसी असरकारी दवाएं हैं जो हजारों सालों से कई तरह की बीमारियों में कारगर साबित होती रही हैं परंतु हमारे देश में लोग आधुनिक चिकित्सा पद्धति के सामने सामान्यत: आयुर्वेद को वरीयता नहीं देते।’
डॉ. जायसवाल के अनुसार, आज हम सब जिस रोग कोविड-19 से लड़ रहे हैं उसका पहला कदम बचाव करना है, जैसे कि स्वच्छता रखकर इससे आसानी से बच सकते हैं। इसके अलावा मुख्य रूप से जिनकी रोग प्रतिरोधक क्षमता ज्यादा होती है, उनके संक्रमित होने का खतरा सबसे कम होता है। इसीलिए आयुर्वेद में रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने वाली विभिन्न औषधि, योग एवं आहार (खानपान ) और विहार (दिनचर्या ) बताये गए हैं। इन्हें रसायन भी कहा जाता है।
आहार के जरिए दुरुस्त रखें सेहत
– मौसमी हरी सब्जियों का सेवन करें।
– मौसमी फलों का ही प्रयोग करें।
– दूध एवं घी का नियमित सेवन करें, यह नियमित लिए जाने वाले रसायन हैं।
– कुछ लोग दही का नियमित सेवन करते हैं। दही का सामान्य सेवन वसंत एवं ग्रीष्म ऋतु में मना है क्योंकि दही उष्ण-अभिष्यंदि गुण के कारण कफ ज्यादा बनाता है। यदि सेवन करना हो तो दिन में ही अल्प मात्रा में करें और हो सके तो इसमें मिश्री- आमल का चूर्ण मिलाकर ही सेवन करें।
– ताजे बने मट्ठे का सेवन हमेशा लाभकारी होगा।
– आधे पेट ही भोजन करें शेष आधा भाग खाली रखना चाहिए जिससे पेट कभी खराब नहीं होता व भोजन अच्छा पचता है। साथ ही भोजन का सार शरीर को पोषण और रोगों से लड़ने की शक्ति देता है।
– खाने के आधे घंटे बाद गुनगुने या सादे पानी का सेवन करें। ठंडे पानी (फ्रिज) के सेवन से बचें।
– फलों व सलाद का सेवन यथासंभव खाने से आधे घंटे पहले करें।
विहार (दिनचर्या) भी ठीक रखें
जैसा कि लॉक डाउन में आजकल बाहर जाना नुकसानदायक होगा इसलिए घर के अंदर ही या छत पर खुले में कम से कम आधे घंटे सुबह-शाम योग एवं इसके विभिन्न आसनों का प्रयोग करें।
आयुर्वेद औषधि योग अपनाएं
मुख्यतः स्वस्थ व्यक्ति एवं बच्चों में स्वस्थ आहार-विहार का नियमित प्रयोग ही काफी है। फिर भी आवश्यकता के अनुसार कुछ औषधि योग का सेवन भी कर सकते हैं।
– त्रिफला, गिलोय व अश्वगंधा का चूर्ण गुनगुने पानी से खाली पेट सेवन करें।
– च्यवनप्राश एवं गिलोय क्वाथ/गिलोय घन वटी का सेवन कर सकते हैं।
– सामान्य सर्दी, खांसी में सितोपलादि चूर्ण में 3 से 5 ग्राम मधु यानी शहद व देशी घी के साथ दिन में 3 से 4 बार चाटने से आराम मिलता है। वहीं, यदि कफ ज्यादा बन रहा हो तो इसमें 500 मिग्रा शुद्ध टंकण और पिप्पली चूर्ण 500 मिग्रा के साथ ले सकते हैं।
– गोजिह्वादी क्वाथ का नियमित सेवन करें।
– सामान्य बुखार में सुदर्शन घन वटी/महा सुदर्शन चूर्ण का सेवन करें।
– मधुमेह के रोगी हैं तो नियमित हल्दी और आमलकी चूर्ण का सेवन दिन में दो बार भोजन से आधे घंटे पहले करें।
– हृदय रोगी के लिये अर्जुन क्वाथ/अर्जुन क्षीर पाक का (अर्जुन छाल को 200 मिली. पानी में उबालें जब 50 मिली. पानी रह जाये तो 50 मिली. दूध के साथ क्वाथ को पकाएं, (50मिली. बचने पर छानकर) नियमित सेवन करें।
– कब्जियत के रोगी हैं तो हिंगवस्टक चूर्ण का नियमित सेवन करें।
– अनिद्रा रोगी के लिये अश्वगंधा, मुलेठी व शतावरी चूर्ण का सेवन लाभदायक होता है।
ये सभी औषधि योग सामान्य अवस्था के लिये बतायी गयी हैं। विशेष परिस्थिति में चिकित्सक की सलाह अवश्य लें।