लखनऊ: राजधानी लखनऊ के मशहूर टुंडे कबाब खाते वक्त अब शायद आपको कुछ बदला-बदला सा टेस्ट मिले, क्योंकि 115 साल के इतिहास में ऐसा पहली बार हुआ है जब टुंडे कबाबी की सिग्नेचर डिश में बदलाव किया गया हो।
90 दिनों के अभूतपूर्व बंद के बाद लखनऊ के प्रतिष्ठित टुंडे कबाब बनाने वाले नवाबी युग के भोजनालय में बहुत कुछ बदल गया है। सबसे महत्वपूर्ण 115 साल पुरानी लोगों की पंसद मुंह में पिघले जाने वाले कबाब, अब पहले जैसे नहीं रह गए हैं।
टुंडे कबाबी के मालिक मोहम्मद उस्मान ने सिग्नेचर डिश को चिकन कबाब में बदल कर इसे ‘मजबूरी के कबाब’ नाम दिया है, क्योंकि लॉकडाउन के बाद से शहर में वो मांस बिकना बंद हो गया है, जिससे गलावत कबाब बनाए जाते थे। हालांकि, चिकन के साथ-साथ मटन कबाब भी परोसे जा रहे हैं।
टुंडे कबाबी के मालिक मुहम्मद उस्मान ने बताया कि लॉकाडउन के बाद एक बार फिर कबाब मिलने से लोगों में खुशी है, लंबे समय से लोग इसका इंतजार कर रहे थे। हालांकि, पहले के मुकाबले भीड़ बहुत कम है और मार्केट में लोग भी कम आ रहे है।