कोरोनावायरस के ख़तरे और रमज़ान के मद्देनजर लिमरा एजेंसी को दिये इंटरव्यू में गाजिये मिल्लत हज़रत मौलाना सैय्यद हाशमी मियां कछौछवी ने कहा कि इंसान सच बोले या फिर खामोश रहे। उन्होंने कोरोनावायरस को अज़ाब और बला बताते हुए कहा कि इसकी शुरुआत अमेरिका ने की रिसर्च सेंटर बनाए और फिर चीन को शामिल किया और करोड़ों डॉलर की फंडिंग की। उन्होंने कहा कि अल्लाह इन दोनों देशों को अक्ल दे कि ऐसे ख़तरनाक तजुर्बे ना करें जो आलमे इंसान को तबाह कर दे।
उन्होंने कहा कि इल्म फ़र्ज़ है, रौशनी है, नूर है मगर ग़लत इस्तेमाल होने पर ग़ुरूर हो जाता है।
उन्होंने कहा कि कोरोनावायरस दिसंबर में वजूद में आया मगर सरकार ने ख़्याल नहीं किया। मध्य प्रदेश में सरकार बनाने और अमरीकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की आवभगत में लगे रहे। सरकार मार्च में जागी। अगर एअरपोर्ट सील कर दिए गए होते तो कुछ नहीं होता मगर अब लकीर पीटने से कोई फायदा नहीं।
जमात के सवाल पर उन्होंने कहा कि मरकज़ को पहचानने में गलती हुई, तबलीगी जमात न इस्लाम है ना अहले सुन्नत यह एक संस्था है। ऐसी संस्था जिसने रसूल और आले रसूल को नजरंदाज किया। हर सहाबा और इमाम ने इस्लाम फैलाया। ख़्वाजा ने इस्लाम फैलाया। इन्होंने तंजीम नहीं बनाई। खुदा को पहचनवाया,। किसी भी राजा या बादशाह के दौर में हिन्दू मुसलमान नहीं हुआ। इसे अंग्रेजों ने शुरू किया। सभी तंजीम अंग्रेजों की देन है चाहे आरएसएस हो, मुस्लिम लीग हो या कोई और। तबलीगी जमात वहाबी सऊदी प्रोजेक्ट है और उन्हीं का प्रोटेक्ट भी है।
उन्होंने कहा कि जेहालत और शख्सियतपरस्ती बंद हो। तबलीगी जमात के दिलों में अहलेबैत की मुहब्बत नहीं है इसलिए वह मुज़िर साबित हो रहे हैं। सऊदी अरब ने रूहानी इस्लाम को सियासी इस्लाम बनाया। वहाबी वायरस से मुताससिर मुल्कों की मदद जमात के साथ है क्योंकि ये सब यजीदी और आतंकवादी हैं।