प्रयागराज 8 मार्च 2020 उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में नागरिकता संशोधन क़ानून( सीएए)के ख़िलाफ़ हिंसा के आरोपियों के पोस्टर लगाने पर इलाहाबाद उच्चतम न्यायालय ने प्रदेश की योगी सरकार को नोटिस जारी किया है।
इलाहाबाद हाईकोर्ट के चीफ़ जस्टिस ने पोस्टर पर संज्ञान मे लेते हुए। योगी सरकार को नोटिस जारी क्या और लखनऊ के ज़िला मजिस्ट्रेट व पुलिस कमिश्नर को रविवार को छुट्टी के दिन कोर्ट में उपस्थित होने का आदेश दिया। लखनऊ में कथित उपद्रवियों के पोस्टर लगाए जाने को लेकर इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने कड़ी टिप्पणी की और पुलिस कमिश्नर व ज़िलाधिकारी को तलब करके पूछा कि किस नियम के तहत पोस्टर लगाए गए हैं। चीफ जस्टिस गोविंद माथुर ने इस मामले का स्वतः संज्ञान लिया है।
उल्लेखनीय है कि स्थानीय प्रशासन द्वारा लखनऊ के प्रमुख चौराहों पर 100 होर्डिंग्स लगाई हैं। ज़िला प्रशासन ने आदेश दिया है कि अगर निर्धारित अवधि में रिकवरी का पैसा नहीं चुकाया गया, तो कुर्की की कार्यवाही की जाएगी। हसनगंज, हज़रतगंज, कैसरबाग और ठाकुरगंज थाना क्षेत्र के 57 लोग अब तक चिन्हित किए जा चुके हैं। इन सब पर हिंसा फैलाने का आरोप है। इन लोगों के खिलाफ 1 करोड़ 55 लाख 62 हज़ार 537 रुपये की रिकवरी का आदेश जारी किया जा चुका है। प्रयागराज एसडीएम को हाई कोर्ट ने प्रशासन से यह पूछा है यह कार्यवाही किस आधार पर की गई है?
उधर बिजनौर के अपर जिलाधिकारी की ओर से जारी किए गए रिकवरी नोटिस पर भी इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने रोक लगा दी है। नागिरकता क़ानून के ख़िलाफ़ 19 और 20 दिसम्बर को बिजनौर में हिंसा और तोड़फोड़ हुई थी। इस मामले की अगली सुनवाई 20 अप्रैल को होगी।