भारत के राष्ट्रपति द्रोपति मुर्मू ने प्रोफेसर ऐनुल हसन को आज दिनांक 27 में 2025 को पद्मश्री से सम्मानित किया
प्रो. सैयद ऐनुल हसन का जन्म 15 फरवरी 1957 को इलाहाबाद (वर्तमान में प्रयागराज), उत्तर प्रदेश, भारत में हुआ था। वे मूल रूप से प्रयागराज के रहने वाले हैं।
शिक्षा के क्षेत्र में योगदान:
सैयद ऐनुल हसन जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (JNU) के स्कूल ऑफ लैंग्वेज, लिटरेचर एंड कल्चर स्टडीज में फारसी और मध्य एशियाई अध्ययन के प्रोफेसर रहे हैं।
उन्होंने कश्मीर विश्वविद्यालय, JNU, और कॉटन कॉलेज स्टेट यूनिवर्सिटी के लिए पाठ्यक्रम (सिलेबस) तैयार करने में महत्वपूर्ण योगदान दिया।
वर्तमान में वे मौलाना आजाद नेशनल उर्दू विश्वविद्यालय (MANUU) के कुलपति (वाइस चांसलर) हैं, जहां उन्होंने उर्दू भाषा और शिक्षा के प्रसार में योगदान दिया।
2017 में उन्हें भारत के राष्ट्रपति द्वारा प्रमाण पत्र से सम्मानित किया गया था, जो उनके शैक्षिक योगदान को दर्शाता है।
साहित्य में योगदान:
सैयद ऐनुल हसन ने फारसी और उर्दू साहित्य के क्षेत्र में महत्वपूर्ण कार्य किया है। उनकी लिखी किताबों की संख्या और विशिष्ट विषयों के बारे में सटीक जानकारी सीमित है, लेकिन उनकी रचनाएँ मुख्य रूप से फारसी भाषा, साहित्य, और मध्य एशियाई अध्ययन पर केंद्रित हैं।
उनकी रचनाएँ शिक्षा और सांस्कृतिक अध्ययन को बढ़ावा देने वाली हैं, विशेष रूप से उर्दू और फारसी साहित्य के क्षेत्र में।
पद्मश्री सम्मान:
सैयद ऐनुल हसन को साहित्य और शिक्षा के क्षेत्र में उनके उत्कृष्ट योगदान के लिए 26 जनवरी 2025 को पद्मश्री पुरस्कार से सम्मानित किया गया। इसकी घोषणा 25 जनवरी 2025 को की गई थी, और पुरस्कार महामहिम राष्ट्रपति श्रीमती द्रौपदी मुर्मु द्वारा नई दिल्ली में 27 मई 2025 को प्रदान किया गया।
नोट: उनकी किताबों की सटीक संख्या और विशिष्ट विषयों के बारे में अधिक जानकारी के लिए अतिरिक्त स्रोतों की आवश्यकता हो सकती है, क्योंकि उपलब्ध जानकारी में यह विवरण स्पष्ट रूप से उल्लेखित नहीं है।
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