मौलाना यासूब अब्बास का पैगाम।

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    22 मई 2020

    आल इंडिया शिया पर्सनल लॉ बोर्ड के प्रवक्ता मौलाना  यासूब अब्बास ने रमज़ान के आखिरी अशरे और ईद के अवसर पर एक पैगाम देते हुए कहा कि रमज़ान शहरूल्लाह है यानी अल्लाह का महीना। इस महीने में भूखे रह कर रोज़ा रखने का हुक्म है। ताकि तुम्हें भूख का एहसास हो सके।और जब तुम्हें भूख का एहसास हो और कोई भूखा तुम्हारे सामने आये तो तुम्हें पता चलेगा कि भूख का एहसास क्या होता है और तुम उस भूखे की मदद करोगे।यही अल्लाह और इस्लाम का पैगाम है। यही हर धर्म में है। हिंदू धर्म में व्रत और मुस्लिम धर्म में रोजा कहते हैं। हर मजहब इंसानियत की मदद चाहता है।
    जब ईद आती है तो फ़ितरे का हुक्म है जो एक टोकन अमाउंट है। यह अमीर इंसान गरीब के दरवाज़े पर देने जाता है। इससे गरीबों को मदद मिलती है। अल्लाह इंसान को पैदा करने से पहले उसका रिज्क तय करता है। इसलिए लाकडाउन के चौथे मरहले में हमें तय करना होगा कि गरीबों, जरूरत मंदों की मदद करें। जिससे कि अल्लाह, रसूल और आले मोहम्मद राज़ी हों।
    मौलाना ने कहा कि जुम्मतुलविदा के मौके पर लोग घर पर ही इबादत करें सोशल डिसटेंसिग बनायें रखें। उन्होंने अपील करते हुए कहा कि जुमें और ईद की नमाज घर पर ही पढ़ें। उन्होंने आपस में मिलजुल कर रहने की नसीहत करते हुए कहा कि नफरत की दीवार गिरा देना चाहिए। उन्होंने समाज में अच्छाइयां बांटने की अपील की।

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