लखनऊ 14 10 2019 लगातार कई सालों से वक्फ बोर्ड की जांच सीबीआई से कराने की मांग वरिष्ठ शिया धर्म गुरु मौलाना कल्बे जव्वाद कर रहे थे। इसके लिए न जाने कितनी बार धरना प्रदर्शन किया गया था। आखिरकार उनकी कोशिश रंग लाई। इसके लिए योगी सरकार एवं मंत्री श्री मोहसिन रजा बधाई के पात्र हैं। इस मांग के लिए पिछली सरकार में प्रदर्शन के दौरान जान की बलि भी देनी पड़ी थी।
योगी आदित्यनाथ सरकार ने उत्तर प्रदेश शिया और सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड की संपत्तियों की बिक्री, खरीद में कथित अनियमितताओं की सीबीआई जांच की सिफारिश की है। इस फैसले से हड़कंप मच गया है। गृह विभाग के एक वरिष्ठ अधिकारी के अनुसार केंद्र सरकार के कार्मिक, प्रशिक्षण एवं लोक शिकायत मंत्रालय के सचिव और जांच एजेंसी के निदेशक को सीबीआई जांच की सिफारिश संबंधित पत्र पहले ही भेज दिया गया है। ऐसे में अब जांच का रास्ता साफ हो गया है। मौलाना कल्बे जव्वाद की मांग आखिरकार मान ली गई।
गृह विभाग ने प्रयागराज व लखनऊ में दर्ज दो मुकदमों के साथ ही यूपी शिया सेंट्रल वक्फ बोर्ड व यूपी सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड द्वारा अनियमित रूप से खरीद फरोख़्त की गईं एवं स्थानांतरित की गई संपत्तियों की सीबीआइ जांच कराने हेतु पत्र केंद्र सरकार के पास भेजा है।
शिया-सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड की संपत्तियों में अनियमितता को लेकर कोतवाली प्रयागराज में वर्ष 2016 में तथा लखनऊ की हजरतगंज कोतवाली में 2017 में अलग-अलग मुकदमे दर्ज कराये गए थे।
दरअसल, 2017 में प्रदेश में भाजपा की सरकार बनते ही शिया व सुन्नी वक्फ बोर्ड पर घोटाले का आरोप लगाकर सीबीआइ जांच कराने की घोषणा हुई थी, लेकिन सीबीआइ जांच के लिए जरूरी औपचारिकताएं सरकार पूरी नहीं कर सकी थी। अब ढाई साल बाद सरकार ने सीबीआइ जांच कराने के लिए कागजी कार्यवाही और औपचारिकताएं पूरी कर केंद्र सरकार को सिफारिश भेज दी है।
वैसे यह तय है कि शिया व सुन्नी वक्फ संपत्तियों में करोड़ों की लूट खसोट, खरीद फरोख़्त हुई है इस जांच में कई पूर्व मंत्री से लेकर अफसर तक लपेटे में आएंगे ।
सीबीआइ जांच की सिफारिश में जिन दो मुकदमों का उल्लेख किया गया है, उनमें शिया सेंट्रल वक्फ बोर्ड के चेयरमैन वसीम रिजवी आरोपित हैं। लखनऊ की हजरतगंज कोतवाली में 27 मार्च 2017 को कानपुर देहात निवासी तौसीफुल हसन की ओर से दर्ज कराई गई एफआइआर में शिया सेंट्रल वक्फ बोर्ड के चेयरमैन वसीम रिजवी, प्रशासनिक अधिकारी गुलाम सैय्यदैन रिजवी, निरीक्षक वकार रजा के अलावा कानपुर निवासी नरेश कृष्ण सोमानी व विजय कृष्ण सोमानी नामजद आरोपित हैं।
प्रयागराज कोतवाली में 26 अगस्त, 2016 को सुधांक मिश्रा की ओर से वसीम रिजवी के खिलाफ एफआइआर दर्ज कराई गई थी। आरोप था कि शिया वक्फ बोर्ड के अध्यक्ष वसीम द्वारा प्रयागराज के पुरानी जीटी रोड स्थित मकान नंबर 61/56 इमामबाड़ा गुलाम हैदर पर अवैध ढंग से दुकानों का निर्माण शुरू किया गया। इस अवैध निर्माण को रोकने के संबंध में कार्रवाई के बावजूद निर्माण कार्य जारी रखा गया था। सात मई 2016 को निर्माण को सील बंद कराया गया लेकिन उसके बाद भी निर्माण जारी रहा। बाद में सील बंदी को तोड़कर अनाधिकृत रूप से निर्माण कार्य कराये जाने की दो एफआइआर दर्ज की गई।
बहरहाल राज्य सरकार ने इन दोनों मुकदमों की भी सीबीआइ जांच कराने की सिफारिश की है। अब यदि ईमानदारी से जांच हुई तो यह तय है इसमें शामिल लोगों को अपने ग़लत कामों का परिणाम भुगतना होगा।