10 मई, लखनऊ, 2020। मां एक ऐसा अहसास है जिसके बारे में शब्दों में कुछ भी बयां करना, सूरज को दिया दिखाने जैसा है, इसे तो सिर्फ महसूस किया जा सकता है। मां के लिये कुछ ऐसे ही अहसास और भावनाओं को उनके चाहने वालों ने अपने अपने ढंग से बयां किया, एक रिपोर्ट,,,
मां पूरा ब्रह्मांड है
‘मां’ एक शब्द पूरा ब्रह्मांड है जिसकी व्याख्या करना नामुमकिन है। कोरोना काल, लाकडाउन और ऐसे में अगर मां का सानिध्य मिल जाए तो फिर सोने मे सुहागा हो जाये। मेरा मायका बक्सर में है। होली के बाद मां लखनऊ आईं। किसी अपरिहार्य कार्य से तो बस मेरी किस्मत से वो लाकडाउन में मेरे पास ही रुक गईं और मैं उनके सानिध्य में उनसे अपना फेवरिट आटे का हलवा जो मै उनकी तरह कभी नही बना पायी सीखने की कोशिश की और दो तीन बार में लगभग सफल रही। मां जैसा स्वाद अभी भी नही आता। मेरे पति सरकारी सेवारत लखनऊ से बाहर तैनात हैं और दोनो बच्चे भी बाहर ही जाब के चलते रह रहे हैं। ऐसे में, मां तपती धूप में एक शीतल छांव बनकर आ गईं, वर्ना मैं अकेले ही रहती वो भी उस हालात में जब बाहर नहीं निकल सकते। हमारे घर में आजकल रोज दैनिक पूजा-अर्चना के साथ रामायण का पाठ भी मां करती हैं और हम दोनों मिलकर नयी और पुरानी रेसिपी बनाने से लेकर फिल्में भी देख रहे हैं। मां के साथ बिताया हुआ हर लम्हा बहुत खास है क्योंकि मां के पास होने का अहसास ही खास है।
(अनीता शर्मा, इंदिरा नगर लखनऊ)
याद आती है तू मां
“न है शब्द, न है ज्ञान
किस तरह करूँ बयान
सिर्फ आँसू ही बहा
सकती हूँ उनकी याद में,
पुस्तिका छोटी पड़ी
बौनी पड़ी है लेखनी
उनके गुण का गान जो
कागज़ पे करने मैं चली,
मेरी हर साँसों में बसती
है उन्ही की आत्मा
याद जब देवी को करती
हूँ तो याद आती है माँ,
बाग से तोड़े थे फूल
भर के लाई अंजलि
अश्रु से गीले हुये
कैसे मैं दूँ श्रद्धांजलि।।
(मधुबाला सहाय)
मेरी जान और दोस्त है मां
मेरी मां सबसे अनमोल है, उसके प्यार का नहीं कोई ओर-छोर है, वो है सबसे बेजोड़, सबसे अनमोल, हां ऐसी है मेरी मां, जो सिर्फ मां ही नहीं, मेरी जान और जहां भी है, दुनिया में वो ही मेरी सबसे अच्छी दोस्त है।।
(शाइनी, ठाकुरगंज)
आ जाओ न एक बार मां
उंगली पकड़कर चलना सिखा दे न मां, फिर से आकर गोदी उठा ले न मां, इस दुनिया में सबकुछ सूना है तेरे बिना मां, आँखों में आते हैं जब कभी आंसू तो दिखता नहीं तेरा आंचल ओ मां, याद करते हैं हम तुझे दिल से, बस एक बार फिर से आ जाओ न मां।।
(समृध्दि, सिद्धि, अमीनाबाद)