महाराणा प्रताप की जयंती

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महाराणा प्रताप की जयंती हर साल ज्येष्ठ शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को मनाई जाती है, जो ग्रेगोरियन कैलेंडर के अनुसार 9 मई को पड़ती है। इस वर्ष उनकी 485वीं जयंती मनाई गई। महाराणा प्रताप का जन्म 9 मई 1540 को कुम्भलगढ़ दुर्ग, मेवाड़ में हुआ था, हालांकि कुछ इतिहासकारों का मानना है कि उनका जन्म पाली में हुआ था।

महाराणा प्रताप मेवाड़ के 13वें महाराणा थे और उन्होंने मुगल बादशाह अकबर की अधीनता स्वीकार नहीं की। उन्होंने अपने जीवन में कई लड़ाइयाँ लड़ीं, जिनमें हल्दीघाटी का युद्ध सबसे प्रसिद्ध है। उनकी वीरता और स्वाभिमान के कारण उन्हें भारतीय इतिहास में एक विशेष स्थान प्राप्त है।

*महाराणा प्रताप जयंती का महत्व:*

– *विरोध का प्रतीक*: महाराणा प्रताप ने मुगल सत्ता के सामने नहीं झुकने के कारण राष्ट्रीय प्रतीक बन गए।
– *इतिहास में योगदान*: उन्हें भारत के स्वतंत्रता संग्राम के अग्रदूतों में गिना जाता है।
– *सांस्कृतिक विरासत*: राजस्थान में विशेष रूप से पूजनीय, लेकिन पूरे भारत में श्रद्धेय।
– *नैतिक मूल्य*: वे सम्मान, बलिदान, आत्मसम्मान और कर्तव्य के प्रतीक माने जाते हैं।

*जयंती समारोह:*

– क्षेत्रीय स्तर पर सरकारी और सामाजिक कार्यक्रम
– शैक्षणिक संस्थानों में विशेष आयोजन
– लोक सांस्कृतिक प्रस्तुतियाँ, कवि सम्मेलन, नाट्य मंचन
– डिजिटल मीडिया अभियानों द्वारा युवाओं में प्रेरणा ¹

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