लखनऊ। भगवन बुद्ध की 2583 वी जयंती बुधवार को राजधानी श्रद्धा के साथ मनाई गई। इसी क्रम मे डालीगंज के प्रतिष्ठित मनकामेश्वर मंदिर मठ की श्री महंत देव्या गिरि जी महाराज ने नदवा कालेज स्थित भगवान बुद्ध की प्रतिमा पर माल्यार्पण कर सभी को जयंती पर बधाई दी।
इस मौके पर उन्होंने कहा कि भगवान बुद्व के उपदेशों में समता, स्वतंत्रता, बंधुत्व के साथ करुणाशील और प्रज्ञा का विशेष स्थान है।
बुद्ध का जन्म का नाम सिद्धार्थ गौतम था। 29 वर्ष की आयु में सिद्धार्थ विवाहोपरांत नवजात शिशु राहुल और धर्मपत्नी यशोधरा को त्यागकर संसार को जन्म, मरण, दुखों से मुक्ति दिलाने के मार्ग एवं सत्य दिव्य ज्ञान की खोज में रात्रि में राजपाठ का मोह त्यागकर वन की ओर चले गए। वर्षों की कठोर साधना के पश्चात बोध गया (बिहार) में बोधि वृक्ष के नीचे उन्हें ज्ञान की प्राप्ति हुई और वे सिद्धार्थ गौतम से भगवान बुद्ध बन गए। बोधगया के अतिरिक्त, कुशीनगर, लुम्बिनी तथा सारनाथ भी अन्य तीन महत्वपूर्ण तीर्थस्थल हैं।
बुद्ध पूर्णिमा के दिन ही भगवान बुद्ध का जन्म हुआ था। दूसरा इसी दिन उन्हें बोधगया में ज्ञान की प्राप्ति हुआ था।
उन्होंने कहा कि आज दुनिया बुद्ध की राह पर है। यही एक मात्र ऐसे युगदृष्टा हुए जो हमें जीवन की समृद्धि सम्यक दिशा दिखाते हैं। लोग उनकी शिक्षाओं का अनुकरण करते हैं।