मदर्स डे यानी मातृ दिवस जिसमें मातृ का अर्थ है मां और दिवस यानि दिन। इस तरह से मातृ दिवस का मतलब होता है मां का दिन। पूरी दुनिया में मई माह के दूसरे रविवार को मातृ दिवस मनाया जाता है। मातृ दिवस मनाने का प्रमुख उद्देश्य मां के प्रति सम्मान और प्रेम को प्रदर्शित करना है। हर जगह मातृ दिवस मनाने का तरीका अलग-अलग होता है, लेकिन इसका उद्देश्य एक ही होता है। मां से मोहब्बत का इज़हार करना।
मैं जो कुछ लिख रहा हूं वह कड़वी बातें हैं मगर सच है इसलिए हमें सच को स्वीकार करना चाहिए और बोलना भी चाहिए।
मां और बेटे का रिश्ता जन्म के बाद साकार होता है और जीवन पर्यन्त बना रहता है। मां और बच्चे का रिश्ता इतना मज़बूत और मोहब्बत से भरा होता है, कि बच्चे को जरा ही तकलीफ होने पर भी मां परेशान हो जाती है। दुनिया का कोई भी रिश्ता इतना मर्मस्पर्शी नहीं हो सकता।
लेकिन अफसोस वक़्त के साथ साथ यह रिश्ता भी प्रभावित हुआ है और इस रिश्ते को प्रभावित करने में सबसे बड़ा रोल टीवी सीरियल का रहा है। गांव में अक्सर कहा जाता है कि कुएं की जगत (पत्थर) पर मिट्टी का घड़ा रखते रखते गड्ढा बन जाता है। इंसान का दिमाग तो कच्चा होता है कोई चीज बार बार देखने और सुनने से दिमाग पर असर होता है। आज के दौर में भी ऐसा ही हो रहा है। सीरियल में दिखाई जाने वाली साज़िशी चालों का असर घर में मौजूद मां, बहन और बहू सब पर होता है। और फिर इसका असर घर पर भी होता है। मां जो एक सास भी होती है वह चाहती है उसकी हुकूमत हो। बहू जो आजकल तेज़ तर्रार और माडर्न होती है वह चाहती है कि उसकी हुकूमत हो। बस यही फसाद की जड़ है। बहू बेटे अपनी दौलत के बल पर मां को काबू में रखना चाहते हैं। मां भी जिस बेटे के पास दौलत होती है उधर झुकाव ज़्यादा रखती है। ऐसी एक नहीं हजारों मिसालें मिलेंगी। जिस बेटे के पास ज्यादा दौलत होती है वह अपने भाइयों को भी नौकर की तरह ट्रीट करता है। यहां पर मां का रोल बहुत अहम है। कमजोर और गरीब बेटा हाथ पांव से खिदमत करता है जिसका कोई महत्व नहीं होता अमीर बेटा मदर्स डे और फ़ादर्स डे पर तोहफे दे देता है और एहसान भी जताता है कि बहुत मंहगा है। बस फिर उसी की तारीफ होती है।
मां जो संस्कार अपने बच्चों को सिखाती है आज के दौर में वह संस्कार सीरियल की बलि चढ़ चुके हैं।
पहले जमाने में मदर्स डे का कोई कांसेप्ट नहीं था क्योंकि मां और बेटे में हकीकी मोहब्बत होती थी। आज औलाद दौलत के चक्कर में इतना ज़्यादा व्यस्त हैं कि मां से दूर है। इसलिए एक दिन मां से इजहारे मोहब्बत करने के लिए निर्धारित कर दिया। मतलब साफ है कि इस दिन मैसेज करेंगे, सोशल मीडिया पर बधाई संदेश डालेंगे, तोहफे देंगे और बस बाकी दिन मां भूखी है, प्यासी है, गर्मी में है, तकलीफ़ में है इससे कोई मतलब नहीं।
यही कड़वी सच्चाई है।
ज़मीन पर मौजूद प्रत्येक इंसान का अस्तित्व, मां के कारण ही है। मां के जन्म देने पर ही मनुष्य धरती पर आता है और मां के स्नेह दुलार और संस्कारों में मानवता का गुण सीखता है। हमारे हर विचार और भाव के पीछे मां के द्वारा दिए गए संस्कार हैं, जिनकी बदौलत हम एक अच्छे इंसान बन पाते हैं। आज के दौर में मातृ दिवस को मनाना इसलिए भी आवश्यक हो जाता है कि हम अपने व्यस्त जीवन में यदि हर दिन न सही तो कम से कम साल में एक बार मां के प्रति पूर्ण समर्पित होकर इस दिन को उत्सव की तरह मना सकते हैं।
सभी मांओं को मुबारकबाद। ईश्वर से प्रार्थना है कि मां का साया सबके सर पर बाक़ी रखें।
जयहिंद।
सैय्यद एम अली तक़वी
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