मदर्स डे का आधुनिक संस्करण 20वीं सदी की शुरुआत में संयुक्त राज्य अमेरिका से शुरू हुआ। 1908 में, अन्ना जार्विस ने वेस्ट वर्जीनिया में अपनी मां की स्मृति में एक स्मारक आयोजित किया, जो इस दिन की नींव बना। 1914 में, अमेरिकी राष्ट्रपति वुडरो विल्सन ने मई के दूसरे रविवार को आधिकारिक तौर पर मदर्स डे के रूप में घोषित किया। इसका उद्देश्य माताओं के प्रति सम्मान, प्रेम और कृतज्ञता व्यक्त करना था। धीरे-धीरे यह उत्सव विश्व स्तर पर फैल गया, जिसे अंतरराष्ट्रीय मदर्स डे के रूप में मनाया जाने लगा। यह दिन माताओं के त्याग, प्रेम और योगदान को याद करने का अवसर प्रदान करता है।
धार्मिक शिक्षाओं में माता का स्थान:
सभी प्रमुख धर्म माता-पिता, विशेष रूप से माता के प्रति सम्मान और सेवा को सर्वोच्च स्थान देते हैं। ये शिक्षाएं न केवल व्यक्तिगत आचरण को निर्देशित करती हैं, बल्कि समाज में मानवता और नैतिकता के मूल्यों को भी मजबूत करती हैं।
हिंदू धर्म – मनुस्मृति (2.145):
“उपाध्यायान् दशाचार्यः आचार्याणां शतं पिता। सहस्रं तु पितृन्माता गौरवेणातिरिच्यति।”
अर्थात, माता का गौरव दस शिक्षकों, सौ आचार्यों और सहस्र पिताओं से भी बढ़कर है। हिंदू धर्म में माता को देवी का स्वरूप माना गया है, और उनकी सेवा को परम कर्तव्य बताया गया है।
बौद्ध धर्म – कटञ्ञुता सुत्त (अंगुत्तर निकाय 2.31-32):
भगवान बुद्ध ने माता-पिता को कृतज्ञता के सर्वोच्च पात्र बताया। उन्होंने कहा कि माता-पिता की सेवा करने वाला व्यक्ति देवताओं द्वारा प्रशंसित होता है और उसे पुण्य की प्राप्ति होती है। बुद्ध के अनुसार, माता-पिता के प्रति प्रेम और सम्मान सच्चे धर्म का आधार है।
इस्लाम – कुरान, सूरह अल-इस्रा (17:23-24):
कुरान में माता-पिता के साथ दया, नम्रता और सम्मान के व्यवहार पर जोर दिया गया है। यह आयत माता-पिता के प्रति सेवा और प्रेम को ईश्वर की इबादत के समान बताती है, विशेष रूप से उनके बुढ़ापे में उनकी देखभाल को महत्वपूर्ण माना गया है।
आधुनिक समाज में धार्मिक शिक्षाओं की प्रासंगिकता:
आज के दौर में, जब सामाजिक और पारिवारिक रिश्ते तेजी से बदल रहे हैं, धार्मिक शिक्षाएं माता-पिता के प्रति प्रेम और सम्मान को जीवित रखने का मार्ग दिखाती हैं। मदर्स डे का उत्सव केवल एक दिन तक सीमित नहीं होना चाहिए; यह माता द्वारा दी गई शिक्षाओं, उनके त्याग और प्रेम को हर दिन सम्मान देने का अवसर है। माता-पिता की सेवा और उनके प्रति कृतज्ञता न केवल व्यक्तिगत जीवन को समृद्ध करती है, बल्कि समाज में नैतिकता और मानवता को भी बढ़ावा देती है।
सच्चा मदर्स डे:
सच्चा मदर्स डे वह है, जिसमें हम माता के प्रति अपने कर्तव्यों को निभाएं, उनकी शिक्षाओं को अपनाएं और उनके प्रति प्रेम व सम्मान को जीवन का हिस्सा बनाएं। धार्मिक शिक्षाएं हमें सिखाती हैं कि माता-पिता की सेवा ही परमात्मा की प्राप्ति का मार्ग है। इस मदर्स डे पर,让我们承诺 करें कि हम न केवल एक दिन, बल्कि हर दिन अपनी माता के प्रति कृतज्ञता और सम्मान व्यक्त करेंगे।
निष्कर्ष:
मदर्स डे का आधुनिक उत्सव और धार्मिक शिक्षाएं एक ही संदेश देती हैं – माता का सम्मान और प्रेम सर्वोपरि है। आइए,
इस अवसर पर हम अपनी माताओं के प्रति कृतज्ञता व्यक्त करें और उनके द्वारा दिखाए गए नैतिक मार्ग पर चलकर समाज को बेहतर बनाएं। यही सच्चा मदर्स डे है।
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