जनता के प्रति सरकार तंत्र किस हद तक उदासीन है इसका जीता जागता सबूत सड़कों पर नज़र आ रहा है ऐसा ही एक मामला लखनऊ छोटा छत्ता सिटी स्टेशन के पास नज़र आया जहां छोटे-छोटे बच्चे आधे कपड़े पहने हुए कूड़ा तलाश करते हुए नज़र आ रहे थे सवाल यह है कि क्या वह कूड़ा बीन रहे हैं या कूड़े में पेट भरने का सामान ढूंढ रहे हैं बच्चों को देखकर हृदय में टीस उत्पन्न होती है छोटे-छोटे बच्चे कल का भविष्य बनने वाले हैं लेकिन उनका वर्तमान ही ख़राब हो रहा है।
सवाल यह है कि इसका ज़िम्मेदार कौन है क्या सरकारी तंत्र व सामाजिक सेवी संस्थाओं को इस पर निगाह नहीं करनी चाहिए इन बच्चों की मदद नहीं करनी चाहिए कोविड-19 महामारी के इस दौर में यह बच्चे बग़ैर सैनेटाइजेशन किए हुए बगैर मास्क के 10-15 बच्चों का समूह जो इधर-उधर कूड़ा में कुछ ढूंढ रहा है क्या इनकी जिंदगी पर ख़तरा नहीं मंडरा रहा है। जहां एक तरफ अमीरों के बच्चे घर में हर तरह के आराम उठा रहे हैं वहीं दूसरी तरफ ग़रीब के बच्चे साथ सड़कों पर पेट भरने के लिए खाना ढूंढ रहे हैं। प्रशासन को इस तरफ ध्यान देना चाहिए।