भारत में बढ़ते बलात्कार चिंता का विषय- तक़वी

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    हिंदुस्तान एक ऐसा देश है जहां महिलाओं को देवी के रूप में पूजा जाता है लेकिन इसके बावजूद देश की एक तस्वीर यह भी है कि यहां पर महिलाएं ही नहीं बल्कि छोटी-छोटी मासूम बच्चियां तक सुरक्षित नहीं हैं। मैं किसी पर सवाल नहीं उठा रहा हकीकत बयान कर रहा हूं। हम सब को अच्छी तरह से मालूम हैं कि हमारे देश में महिलाओं का शारीरिक शोषण किस हद तक हो रहा है और सब कुछ देखते हुए भी हमने अपनी आंखें बंद कर रखी हैं।
    इंसानियत को शर्मसार कर देने वाली कठुआ और उन्नाव गैंग रेप की घटनाओं को लेकर देश में गुस्सा और आक्रोश फैला। सोशल मीडिया में कैंपेन चले, सड़कों पर विरोध प्रदर्शन हुआ और सियासत में आरोप प्रत्यारोप।दोषियों को मौत की सजा देने की मांग उठी मगर फिर सब ठंडा हो गया।
    साल 2012 में दिल्ली के चर्चित निर्भया गैंगरेप मामले के वक्त भी ऐसा ही माहौल बना था। लोग सड़कों पर प्रदर्शनकारी बन कर उतर आये थे। इस खौफनाक मामले के बाद ये जनता के आक्रोश का ही असर था कि वर्मा कमिशन की सिफारिशों के आधार पर सरकार ने नया एंटी रेप लॉ बनाया और आईपीसी और सीआरपीसी में तमाम बदलाव किए गए, और इसके तहत सख्त कानून बनाए गए। लेकिन ढाक के तीन पात, कुछ नहीं हुआ। इतनी सख्ती और इतने आक्रोश के बावजूद रेप के मामले नहीं रुके।
    और अब हैदराबाद में लेडी वेटनरी डॉक्टर के साथ ऐसी हैवानियत हुई, जिसने पूर देश को हिला के रख दिया,हर जिंदा ज़मीर का आदमी अंदर तक कांप गया। मदद करने के बहाने चार दरिंदों ने उसके साथ गैंगरेप किया, और फिर उसे मारकर जिंदा जला दिया। इस भयानक वारदात को लेकर पूरे देश में आक्रोश दिखाई पड़ रहा है। सिर्फ यही नही न जाने कितने ऐसी घटनाएं होती होंगी जो खबरों में नहीं आ पाती।
    देश की राजधानी दिल्ली में 2011 में जहां इस तरह के 572 मामले दर्ज किये गए थे, वहीं साल 2016 में यह आंकड़ा 2155 रहा। निर्भया कांड के बाद दिल्ली में दुष्कर्म के दर्ज मामलों में 132 फीसदी की बढ़ोतरी हुई। साल 2017 में अकेले जनवरी महीने में ही दुष्कर्म के 140 मामले दर्ज किए गए थे। मई 2017 तक दिल्ली में दुष्कर्म के कुल 836 मामले दर्ज किए गए।

    देश में बढ़ते बलात्‍कार के मामले एक महामारी की तरह फैल रहे हैं। लेकिन सिवाय जबानी जंग के कुछ नहीं हुआ। जनता जो कर सकती है किया। धरना, प्रदर्शन, कैंडल मार्च, शांति यात्रा इत्यादि। मगर सरकार और प्रशासन बड़ा है फैसला उनको करना है।

    भारत को भले ही एक शिक्षित देश माना जाता है मगर अभी भी यहां पर बहुत बड़ी आबादी अशिक्षित है। जिसकी वजह से लोग सही ग़लत नहीं सोच पाते हैं और कुछ ऐसा कर जाते हैं जो उनके और उनके परिवार और देश के माथे पर कलंक बन जाता है। इस हरकत से घर, शहर, प्रदेश, और देश सब बदनाम होता है। भारत में शिक्षा का स्‍तर बहुत ही ज्यादा खराब है। यहां पर सरकार शिक्षा पर करोड़ों रुपए खर्च तो करती है लेकिन अच्‍छी शिक्षा दे पाने में वो अब भी कामयाब नही है। आप देखेंगे तो पाएंगे कि ज्यादातर लोग बातचीत में गालियों का प्रयोग करते हैं। गालियां देना और अपशब्दों का प्रयोग एक फैशन बन गया है। ऐसे लोग सभ्य समाज का निर्माण कैसे करेंगे?
    कानून व्यवस्था इतनी लचर है कि आरोपी को 10-20 साल बाद सज़ा होती है। भारत में भ्रष्‍टाचार अधिक होने की वजह से लोग रेप करके आसानी से निकल जाते हैं।
    कई मशहूर और रसूखदार लोग अभी भी जेल में बंद हैं। जिन रेपिस्‍टों को सजा होती है उनकी संख्‍या बहुत ही कम है। सरकार अगर रेप करने वाले मुजरिमों को सख्‍त सजा दे तो शायद देश में बढ़ते बलात्‍कारों को कम किया जा सकता है। जितनी चुस्ती हेलमेट चेक करने के लिए दिखाई देती है और फ़ौरन चालान काटे जाते हैं अगर वैसे ही इसमें भी कार्यवाही की जाये तो कुछ उम्मीद लगाई जा सकती है।
    एक और बात पर अगर गौर किया जाए तो पता चलता है कि अधिकतर रेप नशे की हालत में ही होते हैं। आज का नवजवान नशे के फंदे में कैद है। नशे में इंसान अपने होश खोकर ग़लत हरकतें कर जाता है ऐसी चीज़ों को भी देश में बैन कर देना चाहिए। मैं प्रतिदिन देखता हूं कि शाम होते ही नशे के आदी लोग खुलेआम शराब का इस्तेमाल करते हैं। कोई रोकने वाला नहीं। स्कूल, कालेज के आसपास शराब की दुकानें खुली रहती हैं।
    सिर्फ सरकार को ही नहीं बल्कि हमारे समाज को भी महिलाओं की सुरक्षा को लेकर कुछ करना चाहिए वरना हमारी बहन बेटियां यूं ही अपराध की भेंट चढ़ती रहेंगीं।
    जय हिन्द।

    सैय्यद एम अली तक़वी
    ब्यूरो चीफ- दि रिवोल्यूशन न्यूज
    निदेशक- यूरिट एजुकेशन इंस्टीट्यूट, लखनऊ
    syedtaqvi12@gmail.com

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