23/5/2020
नई दिल्ली. लॉकडाउन के बाद से भारतीय राजनीति में जो थोड़ी खामोशी आई थी, वह अब टूटने लगी है। इसकी शुरुआत उत्तर प्रदेश से हुई है। यहां सत्ता चला रही भाजपा और कांग्रेस में प्रवासी मजदूरों को लेकर सियासत चरम पर है। कांग्रेस ने यहां मजदूरों के लिए बसें चलाने का ऑफर दिया है।
उत्तर प्रदेश की राजनीति में एक बार साफ दिख रहा है कि प्रदेश में कमजोर पड़ चुकी कांग्रेस पार्टी की महासचिव प्रियंका गांधी मजदूरों के मामले पर हमलावर रुख अपनाए हुए हैं। उन्होंने बड़ी चतुराई से इस मसले पर समाजवादी पार्टी (SP) और बहुजन समाज पार्टी (BSP) को पीछे छोड़ दिया है। ऐसा करके वो राज्य में कमजोर विपक्ष का फायदा उठाकर अपनी पार्टी को मजबूत कर रही हैं। यह कहा जा सकता है कि कांग्रेस ने बस पर सवार होकर 2022 की चुनावी रेस में साइकिल और हाथी को पीछे छोड़ दिया है।
उत्तर प्रदेश (UP) में बसों को लेकर भाजपा और कांग्रेस के दावों को एक पल के लिए किनारे कर दीजिए कि कौन सही है या कौन गलत। एक बात तो साफ दिख रही है कि कांग्रेस ने 1000 बसें चलाने का दावा कर मजदूरों के मन में कहीं ना कहीं जगह बनाई है और उसका यह अभियान कारगर दिख रहा है। सबसे दिलचस्प बात यह है कि इस मौके पर सपा और बसपा पूरी तरह सीन से गायब हैं।
ऐसा नहीं है कि कांग्रेस ने सपा-बसपा से बाजी रातों-रात मारी है। इसके लिए तो उसने लॉकडाउन के दूसरे दिन से ही प्रयास शुरू कर दिए थे। कांग्रेस की यूपी प्रभारी प्रियंका गांधी ने 25 मार्च को प्रदेश के अपने कार्यकर्ताओं से वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग की और राज्य में खाने का इंतजाम करने को कहा। उसी दिन उन्होंने राज्य के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को पत्र लिखा, जिसमें मजदूरों, किसानों और गरीब लोगों के लिए कई सुझाव दिए गए थे। पत्र में यह भी कहा गया था कि कांग्रेस जरूरत पड़ने पर अपने कार्यकर्ताओं को बतौर वॉलंटियर लगाने को तैयार है।