नई दिल्ली 9/5/2020 कोविड-19 ने जिस तरह से देश के आर्थिक रफ्तार का पहिया जाम कर रखा है उससे बड़ी संख्या में लोगों के रोजगार के छिने जाने की बात कोई नई नहीं है। दुनिया भर में बेरोजगारी बढ़ने की समस्या सामने है। अमेरिकी सरकार ने डाटा भी दिया है कि 3.3 करोड़ लोग बेरोजगार हुए है। आर्थिक शोध एजेंसी मैकेंजी का मानना है कि संपूर्ण लॉकडाउन में पहली बार ढील देने की अवधि (20 अप्रैल से 3 मई) में देश के 170 जिलों में सिर्फ 57 फीसद आर्थिक गतिविधियां ही चालू हो पाई थी और इस सीमित गतिविधियों की वजह से देश में गैर-कृषि क्षेत्र में कार्यरत सभी कामगारों में से 55 फीसद यानी 14.3 फीसद के पास कोई काम नहीं था यानी वे बेरोजगार हुए थे।
अभी भी 10.7 करोड़ लोग काम से बाहर है।
4 मई, 2020 के बाद लॉकडाउन में और ढील दी गई है लेकिन अभी भी 10.7 करोड़ लोग काम से बाहर है। इसी तरह से यह रिपोर्ट बताती है कि अगर आने वाले दिनों में रेलवे, एयरलाइंस, शॉपिंग माल व मनोरंजन से जुड़ी गतिविधियों को छोड कर अन्य सभी गतिविधियों की अनुमति दी जाए तब भी करोड़ों लोग रोजगार से बाहर ही रहेंगे। इसके पीछे वजह यह बताई गई है कि भारत में उद्योग जगत का सप्लाई चेन इस तरह से बिखरा पड़ा है कि एक क्षेत्र को बंद रख कर दूसरे क्षेत्र में पूरी गतिविधियों की छूट देने से भी काम नहीं चलेगा।