‘‘शिया हेल्पलाइन’’ 06 रमजान 17 मार्च 2024
कार्यालय आयतुल्लाह अल उज़मा सैय्यद सादिक़ हुसैनी शीराज़ी से जारी हेल्प लाइन पर नीचे दिए गये प्रश्नो के उत्तर मौलाना सैयद सैफ अब्बास नक़वी एवं उलेमा के पैनल ने दिए-
लोगों की सुविधा के लिए ‘‘शिया हेल्पलाइन’’ कई वर्षों से धर्म की सेवा कर रही है, इसलिए जिन मुमेनीन को उनके रोज़ा, नमाज़ या किसी अन्य धार्मिक समस्या के बारे में संदेह है, तो वह तमाम मराजए के मुकल्लेदीन के मसाएले शरिया को जानने के लिए सुबह 10 बजे से दोपहर 12 बजे आप इन नंबरों 9415580936, 9839097407 पर तक संपर्क कर सकते हैं। एवं ईमेलः उंेंम स786/हउंपसण्बवउ पर संपर्क करें।
नोट- महिलाओं के लिए हेल्प लाइन शुरू की गयी है जिस मे महिलाओं के प्रश्नों के उत्तर खातून आलेमा देेगीं इस लिए महिलाओं इस न0 पर संपर्क करें। न0 6386897124
प्र0-अगर किसी शख्स को यकीन है कि सहरी मे मछली या ऐसी कोई दूसरी चीज खाने के कारण रोजा तोड़ना पड़े तो क्या उसे खाना जायज है?
उ0- सहरी में ऐसी चीजें खाना जायज़ नहीं है, जिससे रोज़ा तोड़ना पड़े।
प्र0-रोजे की हालत में नोट गिनते समय इंसान थूक (लार) का इस्तेमाल करता है, जिससे उंगलियां नमकीन लगती हैं, क्या ऐसी हालत में रोजा टूट जाएगा?
उ0-अगर हलक में न उतरे तो रोजा सही है।
प्र0- किसी भी खेल में, यदि दोनों टीमें शर्त लगाती हैं और कुछ पैसे जीतती हैं, तो क्या इसका उपयोग करना जायज़ है?
उ0- शर्त के पैसे का उपयोग जाएज़ नहीं है।
प्र0-क्या रोज़े के दौरान जानवरों को ज़िबह किया जा सकता है?
उ0-रोज़ा रखते हुए किसी जानवर को ज़िबह किया जा सकता है।
प्र0- क्या साल की बची हुई नकदी पर खुम्स वाजिब होगा?
उ0-खुम्स वर्ष के अंत में, जो कुछ भी बचा हुआ है, जैसे धन तथा आटा, दाल, नया कपड़ा, जूते, सेंट इत्यादि पर खुम्स का भुगतान करना होगा।