उत्तर प्रदेश की राजनीति में पांव जमाने की कोशिश में कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी दिन रात मेहनत कर रही हैं. वही, भीम आर्मी के प्रमुख चंद्रशेखर आजाद ने भी आजाद समाज पार्टी का गठन कर कामकाज तेज कर दिया है. प्रियंका गांधी की टीम लगातार चंद्रशेखर के संपर्क में रहती है. प्रियंका और चंद्रशेखर की नजर सूबे में बसपा प्रमुख मायावती के दलित मतदाताओं पर है. सूबे में दोनों नेता दलित मुद्दों को लेकर योगी सरकार को घेरने से नहीं चूकते हैं जबकि मायावती फिलहाल मौन हैं. ऐसे में सवाल उठता है कि प्रियंका और चंद्रशेखर बसपा के वोटबैंक में सेंधमारी में कितना कामयाब हो पाएंगे?
उत्तर प्रदेश में दलित मतदाता करीब 22 फीसदी हैं. अस्सी के दशक तक कांग्रेस के साथ दलित मतदाता मजबूती के साथ जुड़ा रहा, लेकिन बसपा के उदय के साथ ही ये वोट उससे छिटकता ही गया. यूपी में कांग्रेस की कमान प्रियंका गांधी के हाथों में आने के बाद से वह अपने पुराने दलित वोट बैंक को फिर से जोड़ने की रणनीति पर काम कर रही हैं.
प्रियंका गांधी का भीम आर्मी के चीफ चंद्रशेखर से बढ़ती नजदीकियां हो या फिर मायावती को बीजेपी का अघोषित प्रवक्ता बताना. इतना ही नहीं प्रियंका का रविदास मंदिर में जाकर माथा टेकना और सूबे में दलित पर होने वाले अत्याचारों को लेकर योगी सरकार को दलित विरोधी करार देना. सोनभद्र में अनुसूचित जनजाति के नरसंहार को लेकर प्रियंका गांधी ने जिस तरह के तेवर अपनाए, उसे हर कोई देख चुका है. प्रियंका गांधी ने ट्वीट कर कहा कि दलितों के खिलाफ होने वाले कुल अपराध के एक तिहाई अपराध उत्तर प्रदेश में होते हैं.