अभी कुछ दिन पहले लखनऊ की आबो-हवा खराब हो गई थी। बहुत हंगामा मचा था। मगर क्या हुआ? वही ढाक के तीन पात। किसी को कोई फ़र्क नहीं पड़ता। बस दिन गुजर रहे हैं। दुनिया चल रही है। कोई राजनीति में व्यस्त है तो कोई भ्रष्टाचार में। कोई सत्ता तलाश कर रहा है कोई आरोप प्रत्यारोप में मस्त हैं। पर्यावरण की फ़िक्र किसी को नहीं है।
ऊपर से रही सही कसर सरकार पूरी कर रही है। प्रदूषण की शिकार राजधानी लखनऊ में अगले साल फरवरी में होने वाले डिफेंस एक्सपो 2020 के लिए गोमती नदी के किनारे से 64,000 पेड़ हटाने/काटने की तैयारी की जा रही है। शासन ने ऐसा करने को कहा है। डिफेंस एक्सपो के दौरान सैन्य उपकरणों के प्रदर्शन और अन्य सुविधाओं के लिए पेड़ हटाने की ये तैयारी की जा रही है। समाचार पत्रों के अनुसार हनुमान सेतु से लेकर निशातगंज तक गोमती किनारे लगे पेड़ हटाने का प्रस्ताव भेजा गया है। यह भी कहा गया है कि डिफेंस एक्सपो खत्म होने के बाद गोमती किनारों पर नए पेड़ लगेंगे।
डिफेंस एक्सपो की जगह पर्यावरण का डिफेंस ज्यादा जरूरी है। नागरिकों का डिफेंस जरूरी है।
लखनऊ डेवलपमेंट अथॉरिटी (LDA) ने दोबारा पेड़ लगाने के लिए नगर निगम से 59 लाख रुपए की मांग की है। एलडीए का कहना है कि गोमती के किनारे इन पेड़ों को लगाने के लिए 59,06,827 रुपए खर्च किए गए थे। यानी मूर्खता की हद हो गई। पहले पेड़ लगाने के लिए खर्च किया गया और अब पेड़ की कटाई के पैसे ख़र्च होंगे और फिर जब नये पेड़ लगाए जायेंगे तो फिर ख़र्च। यानी एक अच्छा मूर्खतापूर्ण कार्य किया जा रहा है।
खुशी की बात है कि यह पहला मौका होगा जब लखनऊ ‘द डिफेंस एक्सपो’ की मेजबानी करेगा। इसमें बड़ी संख्या में दूसरे देशों के प्रतिनिधि भी शामिल होंगे। बड़ी बड़ी विदेशी और स्वदेशी कंपनियां इस प्रदर्शनी में अपने अत्याधुनिक हथियारों का प्रदर्शन करेंगी। इनकी नजर विश्व के सबसे बड़े हथियार आयातक देश के लाभदायक सैन्य बाजार पर होगी। सब अपनी जगह ठीक है मगर जिस आक्सीजन के सहारे हम जीवन व्यतीत कर रहे हैं उसी के जनक पेड़ों की बलि देना कहां तक उचित है!
आज के आधुनिक समय में जनसंख्या वृद्धि के साथ जंगलों का विनाश बढ़ गया है। लोग नहीं जानते कि पेड़ हमारी जिंदगी हैं। पेड़ों से हमें ज़िन्दगी देने वाली हवा (ऑक्सीजन) मिलती है, पेड़ों और जंगलों से हम अपनी काफी ज़रूरतों को पूरा कर पाते हैं। पेड़ों और इससे बने जंगलों के ही कारण बारिश होती है लेकिन तेज़ी से बढ़ती जनसंख्या के कारण इंसान अपनी जरूरतों के लिए बहुत तेजी से पेड़ों और जंगलों का विनाश कर रहा है। यही कारण है कि आज जंगलों, पेड़ों के साथ साथ पूरी दुनिया खतरे में है। नतीजतन मानव जीवन भी खतरे में है। एक अनुमान के मुताबिक भारत में 10 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में फैले जंगल कट रहे हैं। शहरीकरण का दबाव, बढ़ती आबादी और तेजी से विकास की भूख ने हमें हरी-भरी जिंदगी से वंचित कर दिया है।
जंगलों में, शहरों में पेड़ों को अवैध रूप से काटा जा रहा है। जहां एक तरफ़ सरकार पर्यावरण संरक्षण के लिए करोड़ों रुपए खर्च कर रही है वहीँ दूसरी तरफ़ शहरों एवं जंगलों में दिन रात पेड़ काटे जा रहे है। इससे सिवाय बर्बादी के कुछ हासिल नहीं होगा।
प्रदेश एवं देश की सरकार को इस पर गंभीरता से विचार करना चाहिए एवं प्रकृति से खिलवाड़ नहीं करना चाहिए अन्यथा जिस दिन प्रकृति ने खेलना शुरू किया तो फिर संभलना और संभालना दोनों मुश्किल हो जाएगा।
जय हिन्द।
सैय्यद एम अली तक़वी
ब्यूरो चीफ- दि रिवोल्यूशन न्यूज
निदेशक- यूरिट एजुकेशन इंस्टीट्यूट, लखनऊ
syedtaqvi12@gmail.com