पुराना लखनऊ के निवासी पहले से ही रोड़ों पर अतिक्रमण, ट्रैफिक की मे समस्या जूझ रहे थे, इसी बीच पुराने लखनऊ में ई रिक्शा का आगमन हुआ, धीरे-धीरे इनकी संख्या बढ़ने लगी, सस्ता होने के कारण गरीब बेरोजगार लोगों ने इसको अपना मुख्य व्यापार बना लिया, जिसकी वजह से एक फायदा हुआ, कि रोड़ों पर “टैक्सी” जो की बहुत वायु पॉल्यूशन करती थी,
लगभग खत्म हो गई,
जिससे पुराने लखनऊ में वायु पॉल्यूशन में कमी आई, सस्ता होने के कारण बेरोजगार लोगों ने ई-रिक्शा रोड़ों पर चलवाना -चलाना अपना मुख्य व्यापार बना लिया,जिसकी वजह से आज रोड़ों पर यह एक महामारी के रूप में देखे जा सकते हैं,या रिक्शा इतना कमजोर है की आए दिन देखने को मिलता है कि ई-रिक्शा का पहिया चेचिस तोड़कर भाग गया, उसमें बैठी सवारियों का क्या हुआ ऊपर वाला ही जाने, ना कंप्लेंन न FIR, इसकी शिकायत करें भी तो कहां करें,
रिक्शे के शाकर इतने कमजोर है कि ई रिक्शा ड्राइवर चलाते – चलाते एकदम से खाचा,टूटी सड़क देख गाड़ी मोड़ लेता है,जिसकी वजह से पीछे से आने वाला व्यक्ति उनकी गाड़ी से टकरा जाता है और ज्यादातर देखा गया है कि ट्रैफिक नियमों को न जानने वाले एवं बच्चे ई रिक्शा चला रहे हैं, जिससे दुर्घटना ज्यादा होती है,
साथ ही साथ एक बात आपको बताएं जिसका हल तलाशना बहुत मुश्किल काम है,
क्यों ई रिक्शा हजरतगंज से लेकर गोमती नगर के हर खंड में प्रतिबंधित है,
जबकि वहां के रहने वालों को भी ई रिक्शा की जरूरत पड़ोसी होगी,
और रोड भी बहुत चौड़ी हैं, पर क्यों नए लखनऊ में ई-रिक्शा प्रतिबंधित है
यह नहीं मालूम,
ट्रैफिक और दुर्घटनाओं को देखते हुए इसको तुरंत हर शहर में प्रतिबंध कर देना चाहिए और प्रतिबंध हो तो पूरे लखनऊ में हो न की खाली नए लखनऊ में
और इसकी जगह कोई आधुनिक बैटरी रिक्शा जो मजबूत होने के साथ-साथ परिवहन विभाग द्वारा लखनऊ की सड़कों पर हाईवे, कन्जेस्टेड रोड पर अनुमान दे कर किस रोड पर कितने ई रिक्शा की जरूरत है,परमिट देकर बेरोजगारों को रोजगार दें,
क़ायम रिज़वी
7007718635