पितृपक्ष का वेदों,ग्रंथ,महाभारत,मनुस्मृति के अनुसार

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पितृ पक्ष सनातन धर्म में एक महत्वपूर्ण पर्व है, जो अपने पूर्वजों और पितरों को याद करने और उनकी आत्मा की शांति के लिए मनाया जाता है। यह पर्व हर साल भाद्रपद मास के कृष्ण पक्ष में मनाया जाता है, जो आमतौर पर सितंबर या अक्टूबर में पड़ता है।

धार्मिक आस्था:

सनातन धर्म में पितृ पक्ष के बारे में धार्मिक आस्था इस प्रकार है:

1. पितरों की आत्मा की शांति: पितृ पक्ष के दौरान पितरों की आत्मा की शांति के लिए तर्पण, पिंडदान, और श्राद्ध किया जाता है।
2. पितरों का आशीर्वाद: पितृ पक्ष के दौरान पितरों का आशीर्वाद लेने के लिए पूजा और अर्चना की जाती है।
3. पूर्वजों का सम्मान: पितृ पक्ष के दौरान पूर्वजों का सम्मान करने के लिए उनकी मूर्ति या चित्र की पूजा की जाती है।

ग्रंथों में उल्लेख:

पितृ पक्ष का उल्लेख कई सनातन धर्म के ग्रंथों में मिलता है, जिनमें से कुछ इस प्रकार हैं:

1. वेद: वेदों में पितृ पक्ष का उल्लेख मिलता है, जिसमें पितरों की पूजा और तर्पण का वर्णन है।
2. पुराण: पुराणों में पितृ पक्ष का उल्लेख मिलता है, जिसमें पितरों की आत्मा की शांति के लिए श्राद्ध और तर्पण का वर्णन है।
3. महाभारत: महाभारत में पितृ पक्ष का उल्लेख मिलता है, जिसमें पितरों की पूजा और तर्पण का वर्णन है।
4. मनुस्मृति: मनुस्मृति में पितृ पक्ष का उल्लेख मिलता है, जिसमें पितरों की आत्मा की शांति के लिए श्राद्ध और तर्पण का वर्णन है।

कैसे और कौन लोग करते हैं:

पितृ पक्ष के दौरान निम्नलिखित कार्य किए जाते हैं:

1. तर्पण: पितरों को तर्पण देना, जिसमें जल, दूध, और अन्य पदार्थों को दिया जाता है।
2. पिंडदान: पितरों को पिंडदान देना, जिसमें चावल, गेहूं, और अन्य अनाजों को दिया जाता है।
3. श्राद्ध: पितरों के लिए श्राद्ध करना, जिसमें भोजन और अन्य पदार्थों को दिया जाता है।
4. पूजा: पितरों की पूजा करना, जिसमें उनकी मूर्ति या चित्र की पूजा की जाती है।

पितृ पक्ष के दौरान निम्नलिखित लोग करते हैं:

1. हिंदू धर्म के अनुयायी
2. सनातन धर्म के अनुयायी
3. पितरों के परिवार के सदस्य
4. पूर्वजों के सम्मान में करने वाले लोग

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