12/06/2020
भारत में जो स्थिति चल रही है उस पर जितना भी अफसोस किया जाए वह कम है क्योंकि लगातार लॉकडाउन लगाने के बावजूद जिस तरीके से कोरोनावायरस भारत में निरंतर तेजी के साथ फैसला चला जा रहा है वह एक चिंता का विषय है सरकार द्वारा कहा गया था कि इक्कीस दिन में हम कोरोना पर विजय प्राप्त कर लेंगे लेकिन लॉकडाउन को अलग-अलग चरणों में लागू करने के बावजूद कोरोनावायरस संक्रमितों और मृतकों की संख्या में लगातार बढ़ोतरी होती चली गई। आज स्थिति यह हो गई है कि एक तरफ सोशल डिस्टेंसिंग, मास्क का प्रयोग ,सैनिटाइजर का प्रयोग इत्यादि बातों पर अमल करने की बात कही जा रही है वहीं दूसरी तरफ सड़कों पर हर तरफ भीड़ दिखाई दे रही है चाय के होटल, ठेले, बाजार, दुकाने सब पूरी तरह खुली है और यहां पर लोगों की भीड़ दिखाई दे रही जिसमें न तो सोशल डिस्टेंसिंग का पालन किया जा रहा है ना ही मास्क का लोग उपयोग कर रहे हैं ना ही सैनिटाइजर का प्रयोग किया जा रहा है। सारे नियम और कानून मंदिर, मस्जिद, स्कूल और कोचिंग तथा धार्मिक आयोजनों पर ही लागू हो रहे हैं।
अभी मशहूर सहाफी आलिम नकवी साहब के भाई की मजलिस जो जामा मस्जिद तहसीनगंज के इमामबाड़े में होनी थी उसके लिए प्रशासन ने इजाजत नहीं दी।
सवाल यह है कि फिर बाकी कामों की इजाजत? सड़कों पर कटे हुए फलों को बेचने की इजाजत क्यों ? शराबखाने पर शराबियों की भीड़ की इजाजत क्यों? एक ऑटो में सवारियां भरकर चलने की इजाजत क्यों? होटलों में दुकानों में लोगों की भीड़ इस बात की इजाजत क्यों? चौराहों गलियों में होटलों पर लोगों की भीड़ इस बात की इजाजत क्यों? बसों में काफी संख्या में यात्री एक साथ बैठकर यात्रा कर रहे हैं इस बात की इजाजत क्यों? ट्रेनें चलाने की इजाजत क्यों?
इन बातों से तो ऐसा मालूम चल रहा है कि किसी को कुछ समझ में नहीं आ रहा है कि कोरोनावायरस जैसी महामारी से निपटने के लिए क्या किया जाए केंद्र सरकार द्वारा जो नियम जारी किए गए उसके अनुसार रात 9:00 बजे से सुबह 5:00 बजे तक पूरी तरीके से बंद या कर्फ्यू की बात कही गई लेकिन दुकाने 9:00 बजे के बाद भी खुली रहती हैं लोगों की आवाजाही 9:00 बजे के बाद भी रहती है इसे क्या समझा जाए क्या इसे यह समझा जाए कि जनता के ऊपर सरकार के आदेशों का कोई असर नहीं है या फिर यह समझा जाए कि सरकार ने जनता को उसके हाल पर छोड़ दिया है!
देश बहुत बुरी स्थिति से गुजर रहा है लोगों के पास खाने का सामान नहीं है रोजगार चरमरा गया आर्थिक स्थिति खराब हो गई हजारों की तादाद में शहरों में लोगों के व्यवसाय अभी भी शुरू नहीं हुए। साथ ही साथ व्यवसाय संचालकों के ऊपर बिल्डिंग के किराए का भार भी है। सरकार इन लोगों की तरफ कोई ध्यान नहीं दे रही है सरकार सिर्फ उन्हीं बिंदुओं की तरफ अपना ध्यान करती है जो बिंदु चुनावी समीकरण में फिट बैठते हैं।
सरकार और प्रशासन को चाहिए कि वह पूरी ईमानदारी से नियम और दिशा-निर्देशों को लागू करें या तो सब चीजों को बंद कर दे या फिर अगर खोल रही है तो सब चीजों को बराबर से खोलने की इजाजत दे। कोरोनावायरस सिर्फ मंदिर मस्जिद स्कूल और कोचिंग में नहीं बल्कि हर जगह है इसलिए सिर्फ मंदिर मस्जिद स्कूल और कोचिंग पर प्रतिबंध लगाना उचित नहीं है जबकि बाकी चीजों में पूरी तरीके से ढिलाई बरती जा रही जहां ना तो सोशल डिस्टेंसिंग का पालन हो रहा है और ना ही मास्क का प्रयोग हो रहा है इसलिए सरकार को चाहिए कि अपने सभी फैसलों पर एक बार फिर से गौर करें और पारदर्शी आदेश लागू करे।
जयहिंद।
सैय्यद एम अली तक़वी
syedtaqvi12@gmail.com