काम बोलता है, नाम बोलता है। दिल्ली विधानसभा चुनाव में आम आदमी पार्टी द्वारा किए गए काम ने बहुत कुछ बोला जो कसर बाकी थी वह काम का दूसरा पर्याय बन चुके अरविन्द केजरीवाल के नाम ने बोला और इतना बोला कि अभद्र और अमर्यादित बोलने वालों की बोलती बंद कर दी।
जितने शब्दों को अमर्यादित शब्दों की शक्ल में इस्तेमाल किया गया वह सारे शब्द जैसे आतंकवादी, पाकिस्तानी, बिरयानी, शाहीन बाग़, देशद्रोही इत्यादि ये सारे शब्द गले की फांस बन गए और जान ले कर के ही छोड़ा।
जनता ने बता दिया कि मन की बात से काम नहीं चलेगा जन की बात करनी होगी। इतनी ज्यादा मन की बात की गई कि जनता ने मन पढ़ लिया और समझ लिया कि इसमें उन्माद, झूठ, और अहंकार के अलावा कुछ नहीं है। दिल्ली चुनाव में जनता ने अपने मन की बात बताई।
एक और बात दिल्ली चुनाव में जो सामने आई वह यह कि साधारण आदमी के मफलर को कमजोर नहीं समझना चाहिए कर्म के आधार पर लाखों के सूट को वह हरा सकता है। बड़बोलापन कभी कभी बहुत नुकसानदायक साबित होता है । फ़िल्म के नायक के तौर पर हाथ पैर हिलाना और है जनता के लिए कर्म को पूजा मानकर मेहनत करना और है। जनता को संबोधित करने के लिए मृदु भाषी होना जरूरी है। अपराधी जनता के साथ विनम्रता के साथ पेश आ ही नहीं सकता। अहंकारी व्यक्ति जब बात करता है तब उसकी बात में अकड़ दिखाई देती है। बोलने से पहले सोच लेना चाहिए कि क्या बोल रहे हैं। देश की एकता अखंडता और संप्रभुता के साथ खेलना आग के साथ खेलने के बराबर है। दिल्ली की जनता बधाई की पात्र है कि उसने पूरे देश के लिए एक उदाहरण प्रस्तुत किया। उसने बता दिया कि आज भी देश की जनता के लिए शिक्षा, चिकित्सा, बिजली, पानी, सड़क, यात्रा, सुरक्षा एवं मंहगाई सबसे महत्वपूर्ण मुद्दा है।
यह जीत दिल्ली की जीत है, देश की जीत है, सत्य की जीत है, भारत की जीत है, प्रदर्शन कर रही जनता की जीत है, देशभक्ति की जीत है, आज़ादी के नारों की जीत है, बुद्धिजीवियों की जीत है, सकारात्मक सोच की जीत है। विकास की जीत है। यह सी ए ए और एन आर सी का विरोध करने वालों की जीत है
यह हार अहंकार की हार है, दो इंच पीछे न खिसकने की हार है, कान खोलकर सुनने का आह्वान करने की हार है, सज्जन पुरुष को आतंकवादी कहने की हार है। देश को बेचने वाली सोच की हार है, धार्मिक आधार पर बांटने वालों की हार है, यह सी ए ए और एन आर सी का साथ देने वालों की हार है।
यह हार सिर्फ इन्ही की नहीं है बल्कि उस पुलिस प्रशासन की भी हार है जो बेकसूर जनता पर अत्याचार कर रहे हैं। ये उनकी भी हार है जो जनता के हक़ की आवाज़ दबा रहे हैं।
यह हिंदुस्तानी चमन की जीत है।
यह अहंकारी दमन की हार है।।
जयहिंद।
सैय्यद एम अली तक़वी
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