दिल्ली कोर्ट ने नेशनल हेराल्ड केस में सोनिया-राहुल को नोटिस जारी करने से दिल्ली कोर्ट ने इनकार, ED को और दस्तावेज पेश करने का आदेश

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नई दिल्ली, 25 अप्रैल 2025: दिल्ली की राउज एवेन्यू कोर्ट ने नेशनल हेराल्ड मनी लॉन्ड्रिंग मामले में एक महत्वपूर्ण फैसले में कांग्रेस नेताओं सोनिया गांधी और राहुल गांधी को प्रवर्तन निदेशालय (ED) की ओर से नोटिस जारी करने की मांग को फिलहाल खारिज कर दिया है। इस फैसले को केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार के लिए बड़ा झटका माना जा रहा है, क्योंकि ED ने इस मामले में सोनिया और राहुल गांधी सहित अन्य नेताओं के खिलाफ हाल ही में चार्जशीट दाखिल की थी। कोर्ट ने ED को और अधिक प्रासंगिक दस्तावेज पेश करने का निर्देश दिया है, और मामले की अगली सुनवाई 2 मई 2025 को निर्धारित की है।
पृष्ठभूमि: नेशनल हेराल्ड केस क्या है?
नेशनल हेराल्ड केस की शुरुआत 2012 में हुई, जब भारतीय जनता पार्टी (BJP) के नेता सुब्रमण्यम स्वामी ने दिल्ली के पटियाला हाउस कोर्ट में एक याचिका दायर कर आरोप लगाया था कि सोनिया गांधी, राहुल गांधी और कांग्रेस के अन्य नेताओं ने यंग इंडियन प्राइवेट लिमिटेड (YIL) के माध्यम से एसोसिएटेड जर्नल्स लिमिटेड (AJL) का अवैध रूप से अधिग्रहण किया। AJL नेशनल हेराल्ड अखबार का प्रकाशन करती थी। स्वामी का दावा था कि यह अधिग्रहण दिल्ली के बहादुर शाह जफर मार्ग पर स्थित हेराल्ड हाउस की 2,000 करोड़ रुपये की संपत्ति पर कब्जा करने के लिए किया गया।
ED ने 2014 में इस मामले में मनी लॉन्ड्रिंग का केस दर्ज किया और 2021 में औपचारिक जांच शुरू की। जांच के दौरान, ED ने दावा किया कि यंग इंडियन, जिसमें सोनिया और राहुल गांधी की 76% हिस्सेदारी है, ने AJL की संपत्तियों को केवल 50 लाख रुपये में हासिल कर लिया, जिसकी कीमत 2,000 करोड़ रुपये से अधिक थी। ED ने इसे आपराधिक साजिश और मनी लॉन्ड्रिंग का मामला बताया।
ED की चार्जशीट और कोर्ट की सुनवाई
9 अप्रैल 2025 को, ED ने दिल्ली के राउज एवेन्यू कोर्ट में सोनिया गांधी, राहुल गांधी, सैम पित्रोदा, सुमन दुबे और अन्य के खिलाफ एक चार्जशीट दाखिल की थी। चार्जशीट में 5,000 करोड़ रुपये की संपत्तियों से संबंधित मनी लॉन्ड्रिंग का आरोप लगाया गया, जिसमें दिल्ली, मुंबई और लखनऊ में AJL की 661 करोड़ रुपये की अचल संपत्तियां और 90.2 करोड़ रुपये के शेयर शामिल थे। ED ने 11 अप्रैल 2025 को इन संपत्तियों को जब्त करने के लिए नोटिस भी जारी किए थे।
25 अप्रैल 2025 को विशेष न्यायाधीश विशाल गोगने की कोर्ट में इस चार्जशीट पर सुनवाई हुई। ED ने कोर्ट से अनुरोध किया कि चार्जशीट पर संज्ञान लिया जाए और आरोपियों को नोटिस जारी किए जाएं। हालांकि, कोर्ट ने ED की दलीलों को अपर्याप्त माना और नोटिस जारी करने से इनकार कर दिया।
कोर्ट का फैसला और टिप्पणी
न्यायाधीश विशाल गोगने ने कहा, “मैं तब तक कोई आदेश पारित नहीं कर सकता, जब तक कि मैं पूरी तरह संतुष्ट न हो जाऊं कि नोटिस जारी करना आवश्यक है।” कोर्ट ने यह भी उल्लेख किया कि चार्जशीट में कुछ दस्तावेज गायब हैं, और ED को इन दस्तावेजों को दाखिल करने का निर्देश दिया। कोर्ट ने ED से केस डायरी भी प्रस्तुत करने को कहा ताकि मामले की गहराई से जांच की जा सके। अगली सुनवाई के लिए 2 मई 2025 की तारीख तय की गई है।
कांग्रेस की प्रतिक्रिया: ‘राजनीतिक बदले की कार्रवाई’
कांग्रेस ने इस मामले को शुरू से ही राजनीतिक बदले की कार्रवाई करार दिया है। पार्टी का कहना है कि नेशनल हेराल्ड केस में कोई मनी लॉन्ड्रिंग नहीं हुई और न ही कोई पैसों का लेन-देन हुआ। कांग्रेस प्रवक्ता अभय दुबे ने कहा, “इतने सालों बाद भी ED कोई ठोस सबूत पेश नहीं कर पाई। यह केवल BJP की साजिश है, जिसका मकसद गांधी परिवार को बदनाम करना है।”
कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने भी इस कार्रवाई को “वेंडेटा पॉलिटिक्स” बताया और कहा कि यह कदम गुजरात और बिहार में होने वाले चुनावों से पहले कांग्रेस को कमजोर करने की कोशिश है। पार्टी ने 16 अप्रैल 2025 को देशभर में ED कार्यालयों के बाहर विरोध प्रदर्शन भी किए।
BJP का पक्ष: ‘कांग्रेस का भ्रष्टाचार उजागर’
दूसरी ओर, BJP ने इस मामले को कांग्रेस के भ्रष्टाचार का उदाहरण बताया है। पार्टी का कहना है कि गांधी परिवार ने व्यक्तिगत लाभ के लिए नेशनल हेराल्ड की संपत्तियों का दुरुपयोग किया। BJP प्रवक्ता संबित पात्रा ने कहा, “यह कोई नया मामला नहीं है। सरदार पटेल ने 1950 में ही जवाहरलाल नेहरू को नेशनल हेराल्ड के वित्तीय लेन-देन को लेकर चेतावनी दी थी।”
क्या है यंग इंडियन और AJL का संबंध?
यंग इंडियन लिमिटेड (YIL): 2010 में स्थापित इस कंपनी में सोनिया और राहुल गांधी के पास 38-38% शेयर हैं, जबकि बाकी 24% शेयर मोतीलाल वोरा, ऑस्कर फर्नांडीज, सैम पित्रोदा और सुमन दुबे के पास थे। YIL ने AJL के 90 करोड़ रुपये के लोन को अपने नाम कर लिया और बाद में AJL की संपत्तियों पर नियंत्रण हासिल कर लिया।
एसोसिएटेड जर्नल्स लिमिटेड (AJL): यह कंपनी नेशनल हेराल्ड अखबार का प्रकाशन करती थी। ED का दावा है कि YIL ने AJL की संपत्तियों को गलत तरीके से हासिल किया।
आगे क्या?
कोर्ट के इस फैसले से कांग्रेस को अस्थायी राहत मिली है, लेकिन मामला अभी खत्म नहीं हुआ है। ED को अब और दस्तावेज और सबूत पेश करने होंगे। यदि कोर्ट भविष्य में चार्जशीट पर संज्ञान लेता है और नोटिस जारी करता है, तो यह कांग्रेस के लिए बड़ा झटका हो सकता है। दूसरी ओर, कांग्रेस इस मामले को राजनीतिक हथियार के रूप में इस्तेमाल कर रही है, यह दावा करते हुए कि मोदी सरकार विपक्ष को दबाने के लिए केंद्रीय एजेंसियों का दुरुपयोग कर रही है।
सोशल मीडिया और जनता की प्रतिक्रिया
सोशल मीडिया पर इस फैसले को लेकर मिली-जुली प्रतिक्रियाएं देखने को मिलीं। कुछ यूजर्स ने इसे कांग्रेस की जीत बताया, तो कुछ ने इसे केवल अस्थायी राहत करार दिया। एक यूजर ने लिखा, “ED की लचर तैयारी का नतीजा है ये फैसला। BJP को अपनी रणनीति पर फिर से विचार करना होगा।” वहीं, एक अन्य यूजर ने कहा, “यह कांग्रेस की नैतिक जीत है। गांधी परिवार को बदनाम करने की कोशिश नाकाम रही।”
निष्कर्ष
दिल्ली कोर्ट का यह फैसला नेशनल हेराल्ड केस में एक महत्वपूर्ण मोड़ है। हालांकि यह कांग्रेस के लिए राहत की बात है, लेकिन मामला अभी भी कानूनी दायरे में है। ED के पास अब अपनी जांच को और मजबूत करने का मौका है। दूसरी ओर, यह मामला भारतीय राजनीति में एक बार फिर से गांधी परिवार और मोदी सरकार के बीच टकराव को उजागर करता

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