आल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के उपाध्यक्ष , एकता के प्रतीक, हकीम ए उम्मत मरहूम डॉ कल्बे सादिक़ के इसाले सवाब की मजलिस हज़ारों अज़ादारो की मौजूदगी में चौक स्थित इमामबाड़ा गुफरानमॉब में सम्पन्न हुई। मजलिस का आरम्भ अपने वक़्त के मुताबिक ठीक सुबह 9:30 बजे तिलावते कलाम पाक से हुआ। उसके बाद शोरए किराम ने मरहूम डॉ कल्बे सादिक़ को श्रद्धांजलि पेश की। स्वर्गीय कल्बे सादिक की मजलिस को शिया आलमे दीन और तंज़ीमुल मकातिब के सचिव मौलाना सय्यद सफी हैदर ने स्वर्गीय कल्बे सादिक की वसीयत के मुताबिक मजलिस को ख़िताब किया। मजलिस को ख़िताब करते हुए मौलाना ने कहा कि मरहूम इल्म की लाइन में किसी से कम नहीं थे लेकिन गरूर और तकब्बुर से वो कोसो दूर थे,पढ़ो और पढ़ाओ उनका नारा था।मौलाना ने मजलिस को ऐलान के मुताबिक दिए गए वक़्त पर ख़त्म किया, क्योंकि मरहूम वक़्त के बहुत पाबंद थे।
मौलाना के क़रीबी सैयद ज़फर अब्बास जाफ़री के मुताबिक मौलाना की शखिसयत बहुत अहम थी मौलाना को कई तरह की ज़बानों पर महारत हासिल थी वह जिस मुल्क में मजलिस को ख़िताब करते थे उसी मुल्क की ज़बान में ख़िताब करते थे ऒर लगातार पूरे पूरे अशरे बेहतरीन उनवान के साथ कई कई घंटों तक बयान करते थे। बीते दिनों मौलाना का लम्बी बीमारी के बाद एरा मेडिकल कालेज में निधन हो गया था। मजलिस के बाद हज़ारों सोगवारों ने मरहूम कल्बे सादिक़ के बेटों कल्बे हुसैन, कल्बे हुसैन नूरी और दामाद नजमी हुसैन को ताज़ियत पेश की।