लेखक एस.एन.लाल
है न कितनी अजीब बात, जो लोग अपने धर्म के मुख्य संदेशवाहक मोहम्मद साहब की जय नही बोलते, उनसे जय श्रीराम बुलवाया जाता, बोलने और न बोलने दोनो दशा भी अंग्रेज़ी में मॉब लिचिंग कर दी जाती है। हिन्दी में हत्या और उर्दू में क़त्ल तो होता नहीं हैं, इसीलिए हत्यारों पर हत्या और क़त्ल की धारायें भी वैसी नहीं लगती और कहीं-कहीं तो दोषमुक्त भी हो जाते हैं। एस.एन.लाल
वेदों के अनुसार बतायें हुए भगवान को ही इस्लाम में पूजनीय समझा जाता है और उस पूजनीय विभूति द्वारा बताये हुए लोगों को पूजनीय…बस।
वेदों के अनुसार ः
न जन्म लेने वाला (अजन्मा) परमेश्वर न टूटने वाले विचारों से पृथ्वी को धारर् िकरता हैं। ऋग्वेद 1/67/3
परमेश्वर की प्रतिमा, परिमान उसके तुल्य अवधिका साधन प्रतिकृति आकृति नही हैं अर्थात परमेश्वर निराकार हैं। यजुर्वेद 32/3
एस.एन.लाल
इस्लाम में धर्म में पूजनीय विभूति को भगवान (अजन्मा) द्वारा बताने के अनुसार ही पूजनीय माना जाता है, और पूजनीय विभूति का सीधे न पुकारकर भगवान (अजन्मा) नाम के बाद या भगवान के नाम के साथ में पूजनीय विभूति का नाम लिया जाता है। एस.एन.लाल
मोहम्मद साहब भी भगवान (अजन्मा) के भेजे संदेशवाहक है, मोहम्मद साहब की भी सीधे जय नहीं बोली जाती। मुसलामानों का जो कलमा है, उसके अनुसार ः भगवान (निराकार) एक है और मोहम्मद साहब उसके रसूल (संदेशवाहक) हैं। यानि बिना अल्लाह (भगवान) के नाम के मोहम्मद साहब का नाम भी अकेले नहीं लेते। एस.एन.लाल
ये चीज़ समझना होगी, क्योंकि धर्म ही सबसे बड़ी और सही शिक्षा देता है, वह चाहे वेद हों या क़ुरआन। उससे हटकर बात करेंगे, तो केवल नाम और केवल दिखावे के धार्मिक व्यक्ति होंगे। सही में होंगे ढ़ोंगी।
एस.एन.लाल