जनाब इमाद उल मलिक, महाप्रबंधक, अल ग़ुरैर इंटरनेशनल एक्सचेंज, के उर्दू कविता और साहित्य में योगदान को सम्मानित करने के लिए, दयार-ए-सुखन, जो कि नवोदित और स्थापित कवियों के लिए एक मंच है। के तहत 5 मार्च, 2020 को दुबई में एक शाम जलसा-ए-सिपस (आभार की शाम) आयोजित की गई।
जनाब इमाद उल मलिक एक दशक से यूएई में उर्दू भाषा के प्रसार और प्रचार के लिए खड़े होने में अग्रणी रहे हैं। उर्दू भाषा के प्रचार के लिए आयोजनों में उनका उदार सहयोग और योगदान सर्वविदित है।
शाम की शुरुआत जनाब नासर नईम, दयार-ए-सुखन के संस्थापक सदस्य द्वारा स्वागत और धन्यवाद के साथ हुई। जनाब इमाद उल मलिक के योगदान और व्यक्तित्व को एक काव्यात्मक दृष्टिकोण में अच्छी तरह से परिभाषित किया गया और चर्चा की गई । जनाब इमाद की शख्सियत और योगदान इतना विशाल और मोहक है कि जनाब ऐजाज़ शाहीन, जनाब शकील खान, जनाब मूसा मलीहाबादी, जनाब फ़रहान वास्ती, जनाब आसिम वास्ती और जनाब ज़हूर उल इस्लाम जावेद जैसे प्रख्यात साहित्यकारों द्वारा उनके व्यक्तित्व की सराहना किया जाना सार्थक रहा।
जनाब इमाद उल मलिक ने उर्दू भाषा के साथ अपने साहचर्य के विशेष संदर्भ में संयुक्त अरब अमीरात में अपनी जीवन यात्रा के बारे में वार्तालाप किया । दयार-ए-सुखन की ओर इमाद उल मलिक की सराहना हेतु यूएई के डॉक्टर ज़ुबैर फारूक, प्रसिद्ध उर्दू कवि, एवं बहत्तर किताबों के लेखक ने इमाद उल मलिक को प्रशस्ति पत्र और शॉल प्रदान किया।
शाम को एक भव्य मुशायरा भी हुआ जिसमें यूएई के बाईस प्रसिद्ध कवियों ने अपनी रचनाओं का पाठ किया और श्रोताओं को मंत्रमुग्ध किया। फिरदौस फारूकी, मसूद नकवी, मूसा धोराजीवाला थे। मुस्कान सैयद, हिना अब्बास, आतिफ रईस, रज़ा अहमद रज़ा, सरोश आसिफ, इरफ़ान इज़हार, तरन्नुम, मुहम्मद ताहा, शादाब उल्फत, एह भोजपुरी, नासर नईम, मूसा मलीहाबादी, नाज़िर वहीद, फारूक सिद्दीकी, सरवत ज़हरा , आसिम वस्ति, ज़हूरुल इस्लाम और ज़ुबैर फारूक ने अपनी रचनाएं सुनाईं। सदर-ए-मुशायराः डॉ जुबैर फारूक थे। कविता सत्र के प्रवाह और कवियों की अनुक्रमणिका को संचालक, जनाब नसर नईम द्वारा बहुत अच्छी तरह से प्रबंधित किया गया था।
परिचयात्मक सत्र के लिए मेजबान मोहतर्मा मुस्कान सैयद थीं जिन्होंने इस आयोजन में एक अच्छी शुरुआत दी।
कुल मिलाकर, इस शाम ने संयुक्त अरब अमीरात के साहित्यिक क्षितिज पर अपनी छाप छोड़ी और उर्दू साहित्य में दिए गए योगदान के लिए काफी चर्चा में रहा। इस आयोजन ने आतिथ्य को पुनर्परिभाषित किया और भविष्य की सभी घटनाओं के लिए एक मानदंड बन गया। इस शाम ने किसी संरक्षक को सम्मानित करने का एक नया चलन शुरू किया जो इस तरह के किसी भी आयोजन की रीढ़ होते हैं ।