जज़्बात और इज्ज़त से खेलने का अधिकार किसने दिया

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    डाक्टर कफील खान को जांच रिपोर्ट में पूरी तरह निर्दोष बताया गया और उन्हें सभी आरोपों से बरी कर दिया गया। सिर्फ यही नहीं न जाने कितने उदाहरण हमारे आपके सामने हैं।
    सवाल वही है कि जो इतने दिनों तक मानसिक और शारीरिक प्रताड़ना बर्दाश्त किया उसकी भरपाई कौन करेगा? क्यूं पावर का दुरुपयोग किया जा रहा है? क्यूं सत्ता को बदनाम किया जा रहा है? क्यूं इंसान की जिंदगी से खिलवाड़ किया जा रहा है? इन सबका जवाब कौन देगा?
    यह बिकी हुई मीडिया जिसका न कोई जमीर है न चरित्र, इसको कौन रोकेगा। एक मछली पूरे तालाब को गन्दा कर रही है । मीडिया को यह अधिकार आखिर किसने दिया है कि बिना इल्ज़ाम साबित हुए किसी भी इंसान की इज़्ज़त के साथ खिलवाड़ करे नमक मिर्च लगाकर उसको चोर, उचक्का , बदमाश बनाकर अपने अखबार और चैनल की टीआरपी बढ़ाये। क्या इनके ज़मीर इतना मुर्दा हो गया है कि वह यह नहीं सोचते कि वह भी इंसान है उसका भी परिवार है । सबकी जिंदगी नरक हो जाती है।
    आखिर इन सब सवालों का जवाब कौन देगा?
    आज कल सामान बेचने से आसान है अपना ज़मीर बेचना। रोजगार तलाशने से अच्छा है ज़मीर बेचना जिससे आपको सब कुछ हासिल हो जायेगा।
    सवाल यह है कि किस्से फरियाद की जाये? फरियाद सुनने वाले ही अगर गलत हैं तो फिर कुछ नहीं हो सकता।
    राजनीति का शुद्धिकरण कौन करेगा। दिल्ली में केजरीवाल सरकार काम कर रही है उसके पीछे भी जाहिल अनपढ़ हाथ धो के पीछे पड़े हैं। क्या यही देश प्रेम है? सिर्फ कागज़ी कार्यवाही से कुछ नहीं होगा।
    जनता को आगे आना होगा। आवाज उठानी होगी। ख़ामोश रहना भी जालिम का साथ देने के बराबर है।
    राजनीति का मतलब लोग नहीं जानते हैं। कैल थॉमस ने कहा है कि राजनीति से घृणा करने वाले कारणों में एक कारण यह है कि सत्यता शायद ही कभी एक राजनीतिज्ञ का उद्देश्य रही हो। अधिकतर राजनीतिज्ञों का मुख्य उद्देशय चुनाव जीतकर शक्ति प्राप्त करना होता है”। जिस शक्ति का आज दुरुपयोग हो रहा है।
    अगर भारतीय लोकतंत्र की राजनीति को ईमानदारी से बगैर किसी भेदभाव के समृद्ध बनाना है तो राष्ट्र के लिए एक साथ आगे बढने की कोशिश करनी चाहिए और समझना चाहिए कि इसे हर हाल में करना है?

    यह समय, हम लोगों के पास जागरूक होने और उन नेताओं और राजनीतिक दलों पर सवाल उठाने, और उन्हें सही प्रकार से बदलने के लिए मजबूर करने का है, जिनके लिए हमारे पास वोट के रूप में एक महत्वपूर्ण हथियार (ईवीएम प्रतिबंधित होने के बाद) मौजूद है ।

    सैय्यद एम अली तक़वी
    ब्यूरो चीफ- दि रिवोल्यूशन न्यूज
    निदेशक- यूरिट एजुकेशन इंस्टीट्यूट
    syedtaqvi12@gmail.com

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