घर में बेघर नज़र आ रही है जनता-सैय्यद तक़वी

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    मौजूदा वक्त में जो भी हो रहा है बिल्कुल अच्छा नहीं हो रहा है। ना सबका साथ है ना सबका विकास है और ना ही सबका विश्वास है। ये क्या हो रहा है, क्यो हो रहा है। ये सबको पता है। ज़िद और जोर जबरदस्ती का परिणाम अच्छा नहीं होता है।
    समर्थन की बात तो नहीं करूंगा क्योंकि समर्थन जैसी कोई चीज़ है ही नहीं हां यह बात जरूर है कि विरोध की यलगार के बीच भारतीयता, एकता और संविधान की आवाज का गला घोंटा जा रहा है। मौलिक अधिकारों के तहत जनता को अपनी बात कहने का पूरा अधिकार है और इसी के तहत सरकार का बात सुनना भी जरूरी है क्योंकि यह उनका कर्तव्य है। लेकिन मौजूदा समय में जो स्थिति है वह देश को तकलीफ़ दे रही है। ऐसा लग रहा है कि अब लोग जाग रहे हैं।
    हो सकता है जो लिख रहा हूं उससे कोई सहमत हो और कोई असहमत लेकिन मौजूदा समय में अपने ही देश में अपने को ही साबित करने का कोई औचित्य नहीं है। पूरे देश में आशंकाओं के बादल हैं हाहाकार मचा हुआ है। ऐसा ही रहा तो क्या होगा कोई नहीं बता सकता।
    यह देश सबका है, किसने क्या कुर्बानी दी, किसका क्या योगदान है इन सबसे बढ़कर देश की तरक्की पर ध्यान देना चाहिए, अर्थव्यवस्था, रोजगार, मंहगाई और शिक्षा पर ध्यान देना चाहिए। देश में सुकून की जरूरत है, एकता की जरूरत है, धर्म निरपेक्षता की जरूरत है।
    हम सब एक हैं। एक होकर रहना चाहिए। मूर्खतापूर्ण क़दम उठाने से और हठ धर्मी से देश का नुक़सान होगा, जनता का नुक़सान होगा। हम सब एक ही थाली में खाने वाले लोग हैं। जिस तरह कोई बेटा/पुत्र पिता जी कहता है, कोई पापा, कोई बाबा, कोई अब्बा कहता है लेकिन मतलब एक ही होता है उसी तरह ईश्वर की संतान कोई अल्लाह, कोई राम , कोई रहीम, कोई भगवान, कोई वाहेगुरु पुकारता है मगर सब एक ही है।
    इस बात को समझने की जरूरत है।
    जय हिन्द।

    सैय्यद एम अली तक़वी
    syedtaqvi12@gmail.com

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