गणतंत्र दिवस हो गया गंदी राजनीति का शिकार

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    गणतंत्र दिवस भारत के गौरव का प्रतीक है पिछले 71 सालों से भारतीय गणतंत्र पूरी दुनिया में अपना सर ऊंचा किये था। गणतंत्र दिवस के अवसर पर विदेशी मीडिया द्वारा भी भारतीय गौरव की व्याख्या की जाती थी लेकिन इस बार पूरी दुनिया में भारतीय गणतंत्र की जो तस्वीर पेश की गई वह बहुत ज्यादा चिंताजनक है।
    पिछले 62 दिनों से चल रहा किसान आंदोलन 72वें गणतंत्र दिवस पर जिस रूप और शक्ल में सामने आया वह विचार के योग्य है।
    हर तरफ मीडिया के माध्यम से यही चर्चा की जा रही है कि किसान आंदोलन उग्र हो गया किसानों ने हिंसक प्रदर्शन किया किसानों ने लाल किले में घुसकर झंडा फहराया लेकिन इसमें शांत भाव और शांत मन से सोचने की जरूरत है। जो किसान पिछले 62 दिन से शांतिपूर्वक प्रदर्शन कर रहा था गणतंत्र दिवस के अवसर पर उसको ऐसा करने की क्या जरूरत थी यह एक सवाल है।
    इलेक्ट्रॉनिक मीडिया के बारे में तो बात करना बेकार है उसकी तस्वीर पूरी दुनिया जाती है। लेकिन सोशल मीडिया के माध्यम से जो चीजें उभर करके सामने आई है उसमें यह साफ जाहिर है कि दिल्ली में किसानों की ट्रैक्टर रैली के दौरान हुई हिंसा और लाल किले पर हुए प्रदर्शन के बाद पंजाबी अभिनेता दीप सिद्धू का चेहरा सामने आया है। दिल्ली में लालकिले पर निशान साहिब फहराने के बाद सिद्धू का एक वीडियो सोशल मीडिया पर सामने आया था, जिसमें उसने कहा, ‘हमने सिर्फ लालकिले पर निशान साहिब फहराया है जो कि हमारा लोकतांत्रिक हक है। वहां पर तिरंगा नहीं हटाया गया था।’ सवाल तिरंगा हटाने या झंडा फहराने का नहीं है। सवाल यह है कि गणतंत्र दिवस के अवसर पर जहां सुरक्षा व्यवस्था पूरी तरह चाक और चौबंद होती है ऐसे में लोग लाल किले के अंदर प्रवेश कैसे कर गये। यह दिल्ली पुलिस और सरकार की पूरी तरह विफलता है।
    इससे भी बड़ा एक सवाल और है कि दिल्ली में मंगलवार को मचे उत्पात और पुलिस पर हमले को लेकर सरकार इतनी खामोश क्यूं है? कया सरकार की यह कोशिश है कि किसी भी तरह से उसकी छवि किसान विरोधी न बने क्यूं कि इससे दूसरे हिस्सों में रह रहे कृषि समुदाय के लोग नाराज हो सकते हैं। शायद यही वजह है कि कल गणतंत्र दिवस की घटना पर अभी तक किसी केंद्रीय मंत्री का बयान नहीं आया है। सब ख़ामोश क्यूं हैं?
    सोशल मीडिया पर दीप सिद्धू की तस्वीर प्रधानमंत्री, गृहमंत्री इत्यादि के साथ वायरल हो रही है। सवाल? क्या यह इन दोनों का करीबी था? अगर करीबी था तो क्या इसके किये गये काम की जानकारी इनको थी? जब हर माध्यम से साबित है कि सिद्धू इसमें शामिल था तो तुरंत कार्रवाई क्यूं नहीं?
    सबसे बड़ा सवाल यह है कि दो महीने से भी ज्यादा समय से चल रहे आंदोलन का क्या होगा? क्या गणतंत्र दिवस पर हुई हिंसा को आधार बनाते हुए सरकार इस आंदोलन को बंद करवा देगी या फिर किसान आंदोलन और उग्र हो जाएगा?
    हिंसा किसी भी चीज का समाधान नहीं है। नुकसान अपने देश का ही होगा । हमें इससे बचना चाहिए।
    बहरहाल सत्तर सालों में जो नहीं हुआ वह अब हो रहा है।
    जयहिंद।

    सैय्यद एम अली तक़वी
    एडिटर इन चीफ
    दि यूरिट न्यूज़ लखनऊ
    syedtaqvi12@gmail.com

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