क्या लाकडाउन का डोज़ फायदेमंद है

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    कहां से शुरू करूं कुछ समझ में नहीं आता है क्यूंकि जनवरी से शुरू हुआ खतरा जिससे सरकार मार्च में सचेत हुई और अब मई तक आ गये हमलोग। लेकिन हुआ क्या! कुछ नहीं। सिर्फ राजनीति हो रही है। मीडिया प्रचार हो रहा है। जनता भूखों मर रही है। यही सच्चाई है।
    देश में कोरोनावायरस के मामले बढ़ते जा रहे हैं। संक्रमितों की संख्या 40,000 के करीब पहुंच गई है। 1300 से ज्यादा लोगों की मौत हो गई है। सरकार क्या कर रही है? क्यूं नहीं टीवी के माध्यम से जनता को बताते! यह जो अरबों रुपए कोरोना के नाम पर जमा हुए हैं किस क्षेत्र में खर्च हो रहा जनता को बताना चाहिए।
    सिर्फ लॉकडाउन के सहारे भारत कोरोना से नहीं जीत सकता है। पिछले 40 दिनों में स्थिति खराब ही हुई है लेकिन हम सच्चाई स्वीकारने को तैयार नहीं हैं। राहुल गांधी यह बात पहले ही कह चुके हैं। प्रत्येक दिन का आकलन करने के बाद यह स्पष्ट है कि सिर्फ लॉकडाउन से हम कोरोना से जीत नहीं सकते। हम जैसे भी आकलन करें, पिछले 40 दिनों में स्थिति खराब ही हुई है, लेकिन हम सच्चाई स्वीकारने और अपनी रणनीति बदलने को तैयार नहीं हैं। दुर्भाग्यवश, इस तरह से 17 मई के बाद भी स्थिति बिगड़ती दिखेगी। इसमें कोई सुधार आने वाला नहीं है। प्रतिदिन संख्या बढ़ती जा रही है।
    आज हालात यह हैं कि लोग भूखे मर रहे हैं। लोग पैदल सड़कों पर चलने के लिए मजबूर हैं, फ्री यात्रा के नाम पर किराया लिया जा रहा है, लोगों तक राशन नहीं पहुंच रहा है। जो पहुंच रहा है वह सामाजिक संस्थाओं के द्वारा पहुंचाया जा रहा है।
    करोड़ों लोगों के व्यवसाय, दुकानें, प्रतिष्ठान, संस्थान इत्यादि बंद है। कहां से किराया देंगे? खर्च कैसे चलेगा? घर का क्या होगा? यह सब सवाल जनता को कष्ट पहुंचा रहे हैं। लेकिन सरकार खामोश है।
    सच्चाई यही है कि यह मीठी सरकार है जिसकी तासीर कड़वी है। सिर्फ लफ़्फाज़ी और कुछ नहीं। एक भी वक्तव्य सरकार ने शिक्षा, रोजगार, सुरक्षा, भूख, किसान, अनाज इत्यादि पर नहीं बोला। बस ताली और थाली बजवा कर चल दिए। देश में हत्यायें हो रही, धार्मिक भावनाओं के साथ खिलवाड़ हो रहा है, मीडिया लड़ाने में लगी है। कोई पैदल चला जा रहा है तो कोई साइकिल से, कहीं सब्जियां मुसलमान हो गई तो कहीं हिंदू। लोग धार्मिक बैनर लगा कर सब्जी बेच रहे। मोहल्लों से जाति देखकर भगाया जा रहा है। विधायक उन्मादी बयान दे रहे। लेकिन क्या मजाल जो बिग बॉस कोई बयान दें।
    सब ख़ामोश हैं।
    कोरोनावायरस की जिम्मेदारी सरकार की है आज भी मूर्खतापूर्ण कार्य हो रहे हैं। शहर के अंदर जगह जगह कोरोना संक्रमित को रखा जा रहा है इससे तो और फैलेगा। कई शहरों में जिन इलाकों में संक्रमण नहीं था वहां संक्रमितों को रखने से वह इलाका भी संक्रमित हो गया। बगैर किसी प्लान के कार्य किया जा रहा है।
    बसें चलीं मगर जनता पैदल नज़र आई।
    निःशुल्क ट्रेन चलाई मगर किराया ले लिया।
    राशन बंटा मगर जनता भूखी और मांगती नजर आई।
    ताली थाली से आभार व्यक्त करवाया लेकिन योद्धा बगैर मास्क और किट के।
    दुकान खोलने का ऐलान मगर जनता का निकलना मना।
    स्कूल फीस पर सरकार की रोक मगर स्कूल मांगने पर अड़ा।
    मतलब सरकार है या क्या है समझ नहीं आता पूरी दुनिया में मज़ाक बन गया है। लोग ट्विटर पर अनफालो कर रहे हैं। शायद इसका एहसास हो गया कि टीवी पर से गायब हो गए और गृहमंत्रालय का सहारा लिया।
    अभी भी वक़्त है जाग जाओ। वरना यह समय इतिहास के पन्नों में कटु शब्दों में लिखा जायेगा
    देश निराश हैं, जनता निराश हैं।
    ईश्वर का सहारा है।
    जयहिंद।

    सैय्यद एम अली तक़वी
    syedtaqvi12@gmail.com

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