28 मई, लखनऊ, 2020। अस्पताल में भर्ती कोविड-19 के 67 प्रतिशत मरीजों में फेफड़ों के अलावा अन्य एडिशनल आर्गेन डिसफंक्शन सिंड्रोम हो सकता है, जो संचरण कर रहे साइटोकिन्स के उच्च स्तर के कारण प्रेरित हो सकता है। विशेषज्ञों का यह मानना है कि कोविड-19 का संक्रमण साइटोकिन स्ट्रॉम का कारण बन सकता है। कोविड-19 के गंभीर मामलों में साइटोकिन स्ट्रॉम सामान्य है। यह एक विस्तृत शब्दावली है, जिसमें विशाल मात्रा में साइटोकिन यानी प्रतिरक्षा प्रोटीन रिलीज होता है, जो कई अंगों को प्रभावित कर सकता है। यह अनियंत्रित प्रतिक्रिया विभिन्न स्थितियों में हो सकती है, जिसमें संक्रमण, अंग क्षति और ऑटो इम्यून विकार शामिल हैं। साइटोकिन स्टार्म घातक हो सकता है, इसलिए इसको तुरंत नियंत्रित करने की आवश्यकता हो सकती है।
प्रारंभिक अध्ययनों में यह बात सामने आई है कि अस्पताल में भर्ती कोविड-19 के 67 प्रतिशत तक मरीजों में फेफड़ों के अलावा अन्य एडिशनल आर्गेन डिसफंक्शन सिंड्रोम (दूसरे अंगों की सामान्य कार्यप्रणाली गड़बड़ा जाना) हो सकता है, जो संचरण कर रहे साइटोकिन्स के उच्च स्तर के कारण प्रेरित हो सकता है।
इस संबंध में लखनऊ स्थित एसजीपीजीआई के नेफ्रोलॉजिस्ट, डॉ. नारायण प्रसाद ने बताया, “चीनी शोधकर्ताओं के अनुसार, जिन्हें कोविड-19 के मरीजों के प्रबंधन का काफी अनुभव है, कंटीन्युअस रीनल रिप्लेसमेंट थेरेपी (सीआरआरटी), गंभीर रूप से बीमार रोगियों में न केवल गुर्दों का सपोर्ट करती है, बल्कि साइटोकिन स्टार्म और कई अंगों की कार्यप्रणाली गड़बड़ाने को रोकने में भी सहायता करती है। ऐसी परिस्थितियों में, जहां मरीज शरीर के फ्ल्युड में तेजी से हो रहे बदलावों और चयापचय उतार-चढ़ावों को नहीं बनाए रख पाता है और उन स्थितियों में जहां एक्स्ट्राकार्पोरियल थेरेपियों (उपचार की विधियां जिन्हें शरीर के बाहर से परिचालित किया जाता है) जैसे इनवेसिव वेंटिलेटर सपोर्ट या आक्रामक वायु संचार की आवश्यकता होती है। सीआरआरटी को एकीकृत व्यवस्था के रूप में इस्तेमाल किया जा सकता है और उसे समानांतर व्यवस्था पर प्राथमिकता दी जाती है। जैसा कि कोविड-19 के रोगियों पर हुए छोटे से पूर्व प्रभावी अध्ययन में रेखांकित किया गया है, जिसमें आक्रामक यांत्रिक वायुसंचार की आवश्यकता होती है। जहां सीआरआरटी उल्लेखनीय रूप से मृत्युदर कम करने से संबंधित है। (74.6 प्रतिशत बनाम 54.5 प्रतिशत पी = 0.032) उन लोगों की तुलना में जिनका उपचार बिना सीआरआरटी के किया जाता है। ”
“यह देखते हुए कि कोविड-19 के कईं मरीजों में कई अंगों की कार्यप्रणाली गड़बड़ा जाती है या वो काम करना बंद कर देते हैं, सीआरआरटी संभवत: एक बेहतर विकल्प हो सकता है, उन मरीजों के लिए जो कई अतिरिक्त कार्पोरियल थेरेपीज पर हैं।”
लखनऊ स्थित केजीएमयू के इनटेंसिविस्ट डॉ. हिमांशु रेड्डी ने कहा, “अमेरिकन सोसायटी ऑफ नेफ्रोलॉजी की सिफारिशों और कोविड-19 महामारी के परिदृश्य को देखते हुए, सीआरआरटी संभवत: पसंदीदा साधनों में से एक है, विशेषकर उन मरीजों के लिए, जिन्हें हेमोडायनॉमिक अस्थिरता है। सीआरआरटी एक रक्तशोधन चिकित्सा है, जिसे दिन में 24 घंटे लगाया जाता है। वर्तमान में, जो अन्य थेरेपियां इस्तेमाल की जा रही हैं, सीआरआरटी परिमाण संतुलन, हेमोडायनामिक स्थिरता को बनाए रखने और मध्यम-आकार के अणुओं की निकासी दक्षता को सुधारने के लिए लाभदायक है। जैसे कि साइटोकिन, जब विशेषरूप से सोखने वाले फिल्टर के साथ इस्तेमाल किया जाता है, जो संचालन से साइटोकिन की बेहतर निकासी में सहायता कर सकता है।”
उन्होंने आगे कहा, “भारत में उपलब्ध एक ऐसा सोखने वाला फिल्टर ऑक्सिरिस है, जिसने कोविड-19 महामारी के मध्य भी कोविड-19 के उपचार के लिए अमेरिकी खाद्य और औषधि प्रशासन (एफडीए) से आपातकालीन उपयोग अनुमति प्राप्त कर ली है। इसके अतिरिक्त, यह फिल्टर सेट एकसाथ कई रक्त शोधन उपचार में इस्तेमाल किया जा सकता है, जिनमें साइटोकिन हटाने या सीआरआरटी सम्मिलित है।”
उपर्युक्त लाभों के अलावा, चीनी शोधकर्ताओं ने सिफारिश की है कि सीआरआरटी का इस्तेमाल गुर्दों के अलावा दूसरी समस्याओं में भी किया जाना चाहिए। विशेष रूप से साइटोकिन स्ट्रॉम को नियंत्रित करने के लिए। जब एआरडीएस, हृदय की विफलता और क्षमता अधिभार शुरूआती चरण पर हो, तो उचित प्रारंभिक हस्तक्षेप किया जाना चाहिए। कार्डियो-पल्मोनरी कार्य को बेहतर समर्थन देने के लिए सीआरआरटी, को तीन-स्तरीय प्रबंधन क्षमता को लागू करने के लिए सक्रिय किया जाना चाहिए। कुल मिलाकर, वेंटिलेटर के साथ-साथ अस्पतालों को डायलिसिस उपकरण और संबंधित आपूर्ति के लिए आपूर्ति की योजना बनाना और प्रबंध करना चाहिए ताकि न केवल बाह्य रोगियों के उपयोग के लिए बल्कि गहन चिकित्सा इकाईयों में गंभीर रूप से बीमार रोगियों की भी देखभाल की जा सके।